JNU विश्वविद्यालय में जिस तरह से हिंसा देखी गई उसकी कितनी भी निंदा की जाये गलत नही होगी। लेकिन देश की सियासी पार्टियां इस हिंसा में भी सियासत खोजने में जुटी हुई है और एक दूसरे पर आरोप लगाने में कोई कोर कसर नही छोड़ रही है, लेकिन इस हिंसा की वजह खोजने और विश्वविधालयों को सियासी अखाड़ा बनने से बचाने के लिये कोई भी दल आगे नही आ रहा है। ऐसे में आखिर ये किसकी साजिश है जो हमारे देश के बड़े बड़े संस्थानों के बच्चों को भड़काने में लगे हुए है।
जिन स्थानों पर ज्ञान की गंगा बहा करती थी उन जगहो पर आज नारेबाजी, हंगामा या हडताल का समंदर देखा जा रहा है। हाथो में बैनर लेकर छात्र देश विरोधी नारे लगाते हुए दिख रहे है जो कही न कही एक सवाल खड़ा कर रही है कि ऐसा आखिर क्यो हो रहा है या फिर इसके पीछे कोई साजिश तो नही।
नक्सलियों पर नकेल कसने का असर
कुछ लोग इस घटना के पीछे एक बड़ी वजह ये मान रहे है कि जिस तरह से आज देश में नक्सलियों पर नकेल कसी गई है, उसके बाद से वो लोग जो नक्सल के समर्थक थे, और उन्हे शहरों से मदद पहुंचा रहे थे वो तिलमिला गये है। अपना पूरा संगठन खत्म होता देख शहर के भीतर कोई न कोई मुद्दे पर भ्रम फैलाकर माहौल खराब करने में लगे है. यहां गौर करने वाली बात ये सामने आ रही है कि उन जगहों पर ही आखिर क्यो हिंसा देखी जा रही है। जहां वामपंथी विचारधारा ज्यादा देखी जाती थी। मसलन JNU,AMU, या केरल के स्कूल हो या फिर बंगाल के कॉलेज या फिर हैदराबाद के हर जगह मोदी सरकार के फैसले पर हंगामा करते हुए दिखे चाहे उन में कोई दम हो या न हो।
विरोध के लिए विरोध
साल 2019 मई में जिस तरह के नतीजे आम चुनाव में आये उसने देश के विपक्ष को गलत साबित कर दिया। जिसके बाद यही लगता है कि विपक्ष अभी भी इस हार को पचा नही पा रही है। इसलिये सरकार की खामिया निकालने में वो हर तरह का विरोध कर रही है। ऐसे में विपक्ष एक माहौल देश में बनाने में लगी है। जिसका उदाहरण देश के विश्वविधालयों में दिख रहा है। जहां अफवाह फैलाकर सिर्फ हंगामा खड़ा किया जा रहा है। जबकि अगर उन लोगों से ये पूछो कि वो हंगामा क्यो खड़ा कर रहे है, तो खुद सही तरह से नही बता पा रहे है, कि वो आखिर किस चीज का विरोध कर रहे है। इस बीच कुछ माहौल खराब करने वाले तत्व इन छात्रों के बीच मिलकर तोडफोड़ या फिर आगजनी कर रहे है, जिससे देश का महौल खराब हो, लेकिन जनता सब जानती है तभी इनके बहकावे में नही आ रही है। जिससे इन लोगों की खीच और निकल रही है।
विदेश से मदद की भी खबरे
मोदी सरकार में भारत का विकास जिस तेजी के साथ हो रहा है। उसे हमारे कुछ पड़ोसी हजम नही कर पा रहे है। ऐसे में देश में माहौल खराब करके कही न कही वो देश में अस्थिरता पैदा करना चाहते है। खुद इस बात का दावा खुफिया विभाग ने भी किया है। यहां तक केरल में हुए CAA कानून के खिलाफ उग्रविरोध प्रदर्शन के पीछे कई मुस्लिम देशों का हाथ होना भी बताया जा रहा है। रिपोर्ट में सामने आया है, कि इसके लिये फंड को भी इन देशों के जरिये ही मुहैया करवाया गया था। ऐसे में इस तरह की साजिश में विदेशियों का भी हाथ हो सकता है इस बात से नकारा नही जा सकता है।
मतलब साफ है, कि जिस तरह से मोदी सरकार काम कर रही है, वो देश के गद्दारों को भा नही रहा है और इसीलिये देश में बिना कोई मतलब के हंगामा किया जा रहा है, खास बात ये है कि उनके बहकावे में देश के युवा आ रहे है और उसका कारण ये है कि कुछ दरबारी मीडिया कुछ चाटुकार फिल्मी कलाकर या फिर कुछ वो लोग जो अपने आप को समाजसेवी बताते है, अपने फायेद के लिये देश के युवाओं का गलत इस्तेमाल कर रहे है, ऐसे में हम तो यही बोलेगें कि देश के युवा जागो देश के खिलाफ हो रही साजिश को समझो और उसका करारा जवाब दो।

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