पिछली कई संसद सत्र को देखते हुए इस बार का सत्र देश और देश के विकास के लिये काफी बेहतर साबित हुआ। इसकी एक वजह ये रही कि इस बार दोनो सदनों में जमकर काम हुआ। लोकसभा की बात करें तो इस बार के बजट सत्र के पहले चरण में 121 फीसदी ज्यादा काम हुआ।
लोकसभा में 30 घंटे से ज्यादा चर्चा हुई
लोकसभा की कार्यवाही शुक्रवार को 14 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी गई और इस तरह निचले सदन में बजट सत्र का पहला चरण संपन्न हो गया। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने जानकारी दी कि इस दौरान कार्य उत्पादकता 121 प्रतिशत रही। उन्होने जानकारी दी सदन में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के लिए आवंटित 12 घंटे के समय के स्थान पर 15 घंटे 13 मिनट चर्चा हुई, जिसमें 60 सदस्यों ने भाग लिया। 60 अन्य सदस्यों ने अपने लिखित भाषण सभा पटल पर रखे। इसी प्रकार आम बजट पर सामान्य चर्चा के लिए आवंटित 12 घंटे के स्थान पर कुल 15 घंटे 33 मिनट चर्चा हुई जिसमें 81 सदस्यों ने भाग लिया और 63 अन्य सदस्यों ने अपने लिखित भाषण सभा पटल पर रखे। पूरे सत्र में करीब 141 सदस्यों ने संसद में संवाद किया तो प्रश्नकाल के दौरान करीब 160 मौखिक सवाल सदन में उठाये गये।
पिछले कई सत्र में हंगामा के चलते नहीं हो पाया था काम
मानसून सीजन हो या फिर शीतकालीन सत्र दोनो ही सत्र में विपक्ष के जोरदार हंगामे के चलते संसद का सत्र काफी बर्बाद हुआ था जिसका असर भी देखा गया था औऱ कई बिल सदन में चर्चा करने से रह गये थे। लेकिन इस बार जिस तरह से संसद का सत्र चल रहा है उससे ये साफ लग रहा है कि सरकार और विपक्ष दोनो मिलकर देश के लिये काम करना चाहते है। इतना ही नही देश राज्यसभा में भी इसबार हंगामा देखने को नही मिला और वहां भी सुचारू रूप से काम होता हुआ दिखा जो एक अच्छे संकेत है और देश का हर नागरिक भी यही चाहता है कि संसद में नोक झोक हो पर संवाद बंद ना हो क्योकि इससे देश में करदाता का ही नुकसान होता है।
ये परंपरा हमारे लोकतंत्र को सशक्त बनाती है। ऐसे समृद्ध संवाद से हमारी संसदीय प्रणाली भी और मजबूत होती है। देश के नागरिकों का भी लोकतांत्रिक संस्थाओं में भरोसा और विश्वास बढ़ता है ऐसे में आगे भी इस तरह का सकरात्मक माहौल संसद में दिखे ऐसा सब चाहेगे। क्योकि इसी से देश के विकास में तेजी आयेगी।