
सरकार ने सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से पिछड़े (ईडब्लूएस) लोगों को दिए गए दस फीसद आरक्षण को लागू करने के लिए केंद्रीय विश्वविद्यालय और उच्च शिक्षण संस्थानों में दो लाख से ज्यादा नई सीटें बढ़ाने की मंजूरी दे दी है। हालाँकि फिलहाल, इनमें से 1.19 लाख सीटें इसी साल 2019-20 में, जबकि 95 हजार से ज्यादा सीटें अगले शैक्षणिक सत्र यानि 2020-21 में बढ़ेंगी। इतना ही नहीं इसके साथ ही सरकार ने केंद्रीय उच्च शिक्षण संस्थानों को नई सीटों की जरूरी व्यवस्था करने के लिए करीब 4315 करोड़ रुपए की वित्तीय मदद देने की भी मंजूरी दे दी है|
इससे पहले चुनाव आयोग से इस बात को लेकर मंजूरी के लिए अर्जी दी गयी थी| मंजूरी मिलने के बाद प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में बुलाई गई कैबिनेट बैठक में सोमवार को सीटों के बढ़ाने के इस प्रस्ताव को मंजूरी दी है। नए शैक्षणिक सत्र की तैयारियों के बीच लिए गए इस फैसले को कई मायनो में काफी अहम माना जा रहा है। हालांकि सरकार ने सीटों के वृद्धि का सैद्धांतिक फैसला ईडब्लूएस कोटे के तहत दस फीसद आरक्षण को संसद की मंजूरी के बाद ही ले लिया था। इस बात के पीछे सरकार द्वारा तर्क दिया गया था कि ईडब्लूएस कोटे के तहत दिए गए दस फीसद आरक्षण का बोझ पहले से आरक्षण का लाभ ले रहे वर्गों पर न पड़े, इसलिए यह जरूरी है|
बताया जाता है की सरकार द्वारा यह तर्क इसलिए दिया गया था, क्योंकि आरक्षित वर्ग से ईडब्लूएस वर्ग को दस फीसद आरक्षण मिलने के बाद अपनी सीटों में कमी होने की आशंका जताई जा रही है। कई मीडिया रिपोर्ट्स के सूत्रों के हवाले से इस सन्दर्भ में यह बताया गया है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय के मुताबिक इस फैसले के तहत देश भर के सभी 158 केंद्रीय विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों में सीटों की बढ़ोत्तरी की गई है। जहां कुल 2,14,766 नई सीटें सृजित की गई है। और यह बढ़ोत्तरी विषयवार की गई है। हालांकि सीटों में यह बढ़ोत्तरी दो सालों में होगी।
मालूम हो कि केंद्रीय विश्वविद्यालय और उच्च शिक्षण संस्थानों में सीटों को बढ़ाने की यह कवायद संसद से ईडब्लूएस कोटे को मंजूरी मिलने के बाद ही शुरू कर दी गई थी। हालांकि, यह एक कठिन चुनौती थी, लेकिन सरकार ने इस सत्र से ही सीटों को बढ़ाने के फैसले पर कायम रही। मंत्रालय ने इसे लेकर सभी केंद्रीय विवि और संस्थानों से बढ़ाई गई सीटों का ब्यौरा और उसके लिए जरूरी संसाधन जुटाने के लिए आने वाले खर्च की जानकारी मांगी थी। इनमें आईआईटी, एनआईटी जैसे संस्थान भी शामिल है। इस बात को लेकर कयास लगाये जा रहे है की सरकार ने मांगे गए ब्योरे और रिपोर्ट के गहन अध्यन के बाद ही यह कदम उठाया है|