चाहे निर्भया कांड हो या फिर अलवर में हुआ 15 वर्षीय मानसिक तौर पर कमजोर लड़की से दुष्कर्म, क्या हमे इन दोनो घटना का विरोध नही करना चाहिये? लेकिन हमारे देश में नहीं देखा जा रहा है। एक रेप पर तो कुछ लोग आसमान सिर पर उठाकर सरकार को कठघरे में खड़ा कर देते है लेकिन वही दूसरे राज्य में हुए रेप के कांड पर ऐसे चुप हो जाते है जैसे कुछ हुआ भी ना हो। ऐसा कई बार देखा गया है।
64 घंटे बाद भी खुला घूम रहा अपराधी
अलवर में 16 साल की मूकबधिर किशोरी से निर्भया जैसी दरिंदगी के मामले में तीन दिन बाद भी पुलिस के हाथ खाली हैं। पुलिस 64 घंटे बाद भी आरोपियों को नहीं पकड़ पाई। हालांकि, सीसीटीवी फुटेज के आधार पर पुलिस ने अहम सुराग मिलने का दावा जरूर किया है। पीड़िता की अभी हालत नाजुक बनी हुई है। इधर, अलवर DM ने अजीबोगरीब बयान देते हुए कहा है कि जब तक मेडिकल रिपोर्ट नहीं आएगी, तब तक यह कहना मुश्किल है कि नाबालिग से रेप या गैंगरेप हुआ है या नहीं। ऐसे में यही लगता है कि बस इस मुद्दे पर प्रशासन खाली लकीर ही पीट रहा है। तो रेप के मुद्दे पर वो लोग भी चुप है जो दूसरे राज्यों में ऐसी घटना पर हंगामा खड़ा कर देते थे। लेकिन आज ना प्रदर्शन का दौर चल रहा है और ना ही समाचार चैनलों में इस विषय में बहस देखी जा रही है। मानो बस यही लग रहा है कि जैसे कुछ हुआ ही नही है।
समाज में अलवर को लेकर चुप्पी क्यों?
लगता तो यही है कि राजस्थान में चुनाव नहीं है इसी लिये देश को शर्मसार करने वाली घटना के घटने के बाद भी कोई इसके विरोध में बोल नहीं रहा है। और वो इस लिये क्योकि यहां कोई चुनाव नही है। अगर चुनाव होता तो यहां पर भी इस मदुदे पर रोटिया सेकने वाले आ जाते फोटो खिचवाते और बड़ी बड़ी बाते करते लेकिन आज ये लोग चुप है जो एक ओछी सियासत की ओर इशारा करता है और सवाल खड़ा करता है हमारी समाजिक व्यवस्था पर कि जहां नाम और सियासत नही चमकती वहां लोग नही जाते। वहां प्रदर्शन नहीं होते वहां कोई न्याय दिलाने की बात नही करते।
अब वक्त आ गया है कि हम ऐसी मानसिकता से बाहर निकले जिससे और बिना सियासी नफा नुकसान के समाज को बेहतर बनाने के लिए काम करे और समाज को कलंकित करने वाले ऐसे अपराधियों को सख्त से सख्त सजा मिलकर दिलवाये जिससे ऐसे अपराध देश से खत्म हो सके।