देश में पेट्रोल, डीजल और एलपीजी सिलेंडर को लेकर जोरदार सियासत देखी जा रही है। सत्तापक्ष लगातार ये आरोप लगा रही है कि सरकार की गलत नीतियों के चलते ही देश की जनता को महंगाई का सामना करना पड़ रहा है जबकि सरकार के खाते में 23 लाख करोड़ रूपये की इनकम हो रही है। सरकार से पूछा जा रहा है कि आखिर ये पैसा जाता कहां है तो चलिये आज हम आपको बता रहे है कि सरकार आखिर इन पैसो का कर क्या रही है।
यहां जा रही पेट्रोल-डीजल की कमाई
कुछ दिन पहले संसद में पूछे गए सवाल पर सरकार की तरफ से दिए गए जवाब में कहा गया कि पेट्रोल-डीजल पर मिलने वाले टैक्स का पैसा विकास की योजनाओं पर खर्च किया जा रहा है। उज्ज्वला, गरीब कल्याण योजना, आयुष्मान भारत, फ्री राशन जैसी योजनाओं के जरिए सरकार पैसा खर्च कर रही है। इतना ही नहीं आज सेना को आधुनिक बनाने के लिये विदेश से नये हथियार खरीदे जा रहे है तो दूसरी तरफ आत्मनिर्भर योजना के तहत देश में भी कंपनियों को आगे बढ़ाने के लिये मदद की जा रही है। नये नये हाइवे तो नये नये पुल जो आज देश में देखे जा रहे है वो सब सरकारी खजानों के खोले जाने के चलते ही हो रहा है।
केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्यों ने भी भरा खजाना
ऐसा नही है कि सिर्फ केंद्र सरकार ही पेट्रोल डीजल से अपना खजाना भर रही है। बल्कि जो लोग इस पर सरकार पर आरोप लगाकर हंगामा खड़ा करना चाहते है। खुद उनकी राज्य सरकार भी पेट्रोल और डीजल के दामो को बढ़ाकर राज्य का कोष बढ़ाने में लगी हुई है। बता दें संसद में अपने लिखित जवाब में केन्द्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने कहा था कि 31 मार्च 2021 के वित्तीय वर्ष तक केन्द्र सरकार ने एक्साइज ड्यूटी के जरिए पेट्रोल पर 1,01,598 करोड़ रुपये और डीजल पर 2,33,296 करोड़ रुपये की कमाई की है। 2020-21 में राजस्थान सरकार की कमाई पिछ्ले वित्तीय वर्ष के मुकाबले 15,199 करोड़ रुपये हो गई है, इसमें 1800 करोड़ रुपये का इजाफा हुआ
तेल बॉन्ड की वजह से सस्ता नहीं हो रहा ईंधन
इस बाबत खुद देश कि वित्तमंत्री सीतारमण की माने तो पिछले सात सालों के दौरान तेल बॉन्ड पर कुल मिलाकर 70,195.72 करोड़ रुपये के ब्याज का भुगतान किया गया है। 1.34 लाख करोड़ रुपये के जारी तेल बॉन्ड पर केवल 3,500 करोड़ रुपये की मूल राशि का भुगतान हुआ है और शेष 1.30 लाख करोड़ रुपये का भुगतान इस वित्त वर्ष से लेकर 2025-26 तक किया जाना है। सरकार को चालू वित्त वर्ष 2021-22 में 10,000 करोड़ रुपये, 2023-24 में 31,150 करोड़ रुपये और उससे अगले साल में 52,860.17 करोड़ तथा 2025-26 में 36,913 करोड़ रुपये का भुगतान करना है। उन्होंने कहा, वर्ष 2014-15 में बकाया राशि 1.34 लाख करोड़ रुपये थे और ब्याज का 10,255 करोड़ रुपये का भुगतान होना था। वर्ष 2015-16 से हर साल का ब्याज भुगतान 9,989 करोड़ रुपये का है। ये एक बड़ी वजह है कि तेल की कीमतो में चाहकर भी गिरावट नहीं की जा रही है क्योंकि मोदी सरकार जल्द से जल्द इस बाबत कर्ज से मुक्त होना चाहती है।
तेल का खेल सियासत में सत्ता तक पहुंचाने का एक बड़ा माध्यम रहा है और यही सोचकर कुछ लोग जनता के सामने भ्रम फैलाकर सत्ता तक पहुंचने का रास्ता खोज रहे है लेकिन जनाब ये जनता है जो अब ऐसे खेलो में नहीं आने वाली।