किसान आंदोलन को लेकर एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट ने तीखी प्रक्रिया दी है। कोर्ट ने किसानों से पूछा है जब केंद्र सरकार ने 3 साल के लिए कानून पर रोक लगा रखी है तो फिर आप लोग प्रदर्शन किस बात को लेकर कर रहे है। हालंकि किसान महापंचायत ने साफ किया कि उन्होने कोई भी सड़क या हाइवे ब्लॉक नही कर रखा है।
कानून को चुनौती और प्रदर्शन भी नहीं चलेगा
किसान महापंचायत की याचिका में जंतर मंतर पर सत्याग्रह की मांग की गई है। अदालत ने कहा कि आपने कानून की वैधता को चुनौती है। हम पहले वैधता पर फैसला करेंगे, प्रदर्शन का सवाल ही कहां है? जब अदालत ने पूछा कि जंतर मंतर पर प्रदर्शन का क्या तुक है तो वकील ने कहा कि केंद्र ने एक कानून लागू किया है। इसपर बेंच ने तल्ख लहजे में कहा कि ‘तो आप कानून के पास आइए। आप दोनों नहीं कर सकते कि कानून को चुनौती भी दे दें और फिर प्रदर्शन भी करें। या तो अदालत आइए या संसद जाइए या फिर सड़क पर जाइए। कही ना कही कोर्ट की सख्त टिप्पणी साफ बता रही है कि 10 महीने से चल रहा किसान आंदोलन कही ना कही अब जनता के लिए नासूर बनता जा रहा है।
लखीमपुर खीरी में हिंसा का भी जिक्र
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान लखीमपुर खीरी में हुई घटना का भी जिक्र किया। अदालत ने कहा कि कानून अपना काम करेगा। कोर्ट ने कहा कि वैसे तो प्रदर्शनकारी दावा कर रहे हैं कि उनका प्रदर्शन शांतिपूर्ण हैं, वे वहां हिंसा और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान की जिम्मेदारी नहीं लेंगे। गौरतलब है कि इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने किसान आंदोलन को आम लोगों का गला घोटने वाला बताकर सख्त टिप्पणी करी थी।
बात तो सच है जब सरकार ने कानून को लागू करने की बात ही नहीं की है तो आखिर किसान आंदोलन किस बात को लेकर हो रहा है। इससे तो यही लगता है कि ये आंदोलन सिर्फ मोदी सरकार के खिलाफ एक माहौल बनाने के लिये हो रहा है और इसमें दूसरे दल पीछे से कही ना कही मदद करके अपना उल्लू सीधा करने में लगे हुए है।