इस बार यूपी चुनाव में जहां मोदी और योगी जी को प्रचंड बहुमत जनता ने दिया तो कई ऐसे रिकार्ड भी बने जो हमेशा याद रखा जायेगा। जैसे 37 साल बाद किसी सरकार ने दोबारा से सत्ता में वापसी की है। ये मिथक भी टूट गया कि जो सीएम नोएडा जाता है वो दोबारा सत्ता में नहीं आता। इसके साथ साथ मतगणना वाले दिन सबसे ज्यादा वोट से चुनाव जीतने का रिकार्ड एक दिन में दो बार टूटा
37 साल बाद सत्ताधारी पार्टी फिर सत्ता में आई
यूपी चुनाव में 37 साल बाद इतिहास दोहराया गया है जब दूसरी बार किसी सत्ताधारी पार्टी तो दोबारा से सत्ता मिली है वो भी प्रचंड बहुमत के साथ वापसी हुई है। इसके साथ साथ ये मिथक भी इस चुनाव में खत्म हुआ है जिसमें कोई सीएम अगर नोएडा जाता है तो वो चुनाव हार जाता है। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ क्योंकि यूपी के सीएम योगी नोएडा करीब 9 बार पहुंचे थे और जीत का ताज इसके बावजूद भी योगी जी के सिर पर ही लगा।
एक दिन में दो बार टूटा रिकॉर्ड
सबसे बड़ी जीत का रिकॉर्ड पहले नोएडा में बना और कुछ ही देर बाद साहिबाबाद में लोगों ने इस रिकॉर्ड को तोड़ दिया। इससे पहले किसी विधान सभा चुनाव में सबसे बड़ी जीत का रिकॉर्ड महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार के नाम था, जिन्होंने अक्टूबर 2019 में बारामती विधान सभा सीट से 1.65 लाख वोटों से जीत दर्ज की थी।
पहले पंकज सिंह ने तोड़ा रिकॉर्ड
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बेटे और भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष पंकज सिंह ने नोएडा सीट पर 2,44,319 मत मिले, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी सपा के सुनील चौधरी को 62,806 मत मिले। पंकज सिंह ने 1,81,513 मतों के अंतर से जीत हासिल किया और अजित पवार का रिकॉर्ड तोड़ दिया। कुछ ही देर बाद गाजियाबाद जिले की साहिबाबाद सीट से बीजेपी उम्मीदवार सुनील शर्मा ने पंकज सिंह का रिकॉर्ड तोड़ दिया। उन्होंने इस सीट से दूसरी बार जीत हासिल की है और उन्हें 3,22,045 मत मिले, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी समाजवादी पार्टी के अमरपाल शर्मा को 1,08,047 मत मिले। सुनील शर्मा ने 2,13,998 मतों के अंतर से यह जीत हासिल की।
इसके साथ साथ यूपी चुनाव में इस बार धर्म जाति और समुदाय से ऊपर उठकर वोटिंग की। विकास के मुद्दे पर जमकर मतदान किया गया। महिलाओं की भागीदारी की बात करे तो इस बार वो भी पहले के मुताबिक काफी ज्यादा रही जिसने ये साबित कर दिया कि अब यूपी बदल चुका है। आत्मनिर्भर बनने के लिये तेजी से आगे बढ़ रहा है।