प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में डिजिटल इंडिया का सपना तेजी से साकार हो रहा है। यूनाइटेड नेशन ने डिजिटल प्लेटफार्म के सही इस्तेमाल पर भारत सरकार की पीठ थपथपाई है। उसने कहा है कि भारत सरकार ने अपने नागरिकों के बीच आर्थिक भेदभाव को खत्म करने के लिए डिजिटल प्लेटफार्म का सही उपयोग किया है।
यूनाइटेड नेशन का डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक एंड सोशल अफेयर्स (DESA) ने वर्ल्ड सोशल रिपोर्ट 2020 प्रकाशित की है। इसमें भारत सरकार के डिजिटल इंडिया काम की सराहना की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने आबादी के विभिन्न समूहों में असमानता को कम करने के लिए सफलतापूर्वक डिजिटल प्लेटफॉर्मों का इस्तेमाल किया है। इसमें कहा गया है कि असमानता दूर करने के लिए मोबाइल प्रौद्योगिकियों को आधार पहचान प्रणाली से जोड़ने के देश के अनुभव को भविष्य में दुसरे देशों में अपनाया जा सकता है।
मोदी सरकार ने डिजिटल प्लेटफार्म का किया सही इस्तेमाल
इस रिपोर्ट में बताया गया कि भारत सरकार ने गरीबी को कम करने के लिए डिजिटल प्लेटफार्म का अच्छा इस्तेमाल किया है। भारत सरकार ने साल 2014 में बैंकों को निर्देश दिए थे कि जिन लोगों का बैंक खाता नहीं है उन लोगों का खाता खोला जाए। जिसके बाद बैंक खातों को आधार कार्ड से जोड़ दिया गया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017 तक देश के 80 फीसदी बालिग लोगों के पास बैंक अकाउंट हो गया जो विकासशील देशों के औसत 63 फासदी से काफी अधिक है। आधार कार्ड को बैंक अकाउंट से जोड़कर सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे गरीबों के बैंक खातों में भेजा जाने लगा जिससे भारत में गरीबी कम करने में मदद मिली। भारत सरकार की योजनाओं से आर्थिक क्षेत्र में विषमता कम हुई, गरीबों की सामाजिक सुरक्षा मजबूत हुई और हेल्थ प्रोग्राम को भी बल मिला।
जनधन खाते की खासियत
बता दें कि मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री जनधन योजना की शुरुआत 2014 में की थी। इसके बाद जनधन खातों में जमा राशि 1 ट्रिलियन रुपये के पार पहुंच गया था। वित्त मंत्रालय के आंकड़े के मुताबिक 3 जुलाई तक इस योजना के तहत खोले गए 36.06 करोड़ खातों में 1,00,495.94 करोड़ रुपये जमा थे। प्रधानमंत्री जनधन योजना (PMJDY) की शुरुआत 28 अगस्त 2014 को की गई थी। इसका मकसद सभी परिवार को बैंक सुविधाओं तक पहुंच सुनिश्चित करना था।
प्रधानमंत्री मोदी ने डिजिटल पेमेंट के बढ़ावे और डिजिटल इंडिया के सपने को पूरा करने के लिए कई प्रयास किए हैं। डालते हैं एक नजर-
विश्व डिजिटल प्रतिस्पर्धा रैंकिंग में भारत पहुँचा 44वें स्थान पर
वैश्विक रिपोर्ट के अनुसार, डिजिटल प्रतिस्पर्धा को अपनाने और इसका पता लगाने के लिए ज्ञान और भविष्य की तत्परता के मामले में भारत ने दुनिया में डिजिटल प्रतिस्पर्धा के मामले में चार स्थान चढ़कर 44वें स्थान पर आ गया है।
भारत इस साल 2018 में 48वें स्थान से बढ़कर 44वें स्थान पर पहुंच गया क्योंकि देश में पिछले साल की रैंकिंग की तुलना में सभी कारकों – ज्ञान, प्रौद्योगिकी और भविष्य की तत्परता में समग्र सुधार हुआ है।
IMD वर्ल्ड डिजिटल कॉम्पिटिटिव रैंकिंग 2019 (WDCR) के अनुसार, “भारत ने 2019 में चार स्थान ऊपर चढ़ते हुए, प्रौद्योगिकी स्तर में सबसे बड़े सुधार के साथ दूरसंचार निवेश में पहला स्थान हासिल किया”।
अमेरिका को दुनिया की सबसे डिजिटल प्रतिस्पर्धात्मक अर्थव्यवस्था के रूप में पहला स्थान दिया गया है।
अक्टूबर में यूपीआई से लेनदेन हुआ एक अरब के पार
भारत के अपने यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) – एक रियल-टाइम पेमेंट सिस्टम ने दोहरे मील का पत्थर हासिल कर लिया है। यह UPI एक बिलियन लेनदेन के साथ ही अक्टूबर में 100 मिलियन उपयोगकर्ताओं को पार कर गया है।यह दुनिया में कहीं भी किसी भी भुगतान प्रणाली में सबसे तेजी से बढ़ने वाला सिस्टम बन गया है।
नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) जिसने तीन साल पहले घरेलू भुगतान प्लेटफ़ॉर्म लॉन्च किया था और इसे संचालित करने का लक्ष्य सिंगापुर और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) जैसे अन्य देशों में फंड ट्रांसफर सिस्टम को ले जाना था। तीन साल पहले लॉन्च हुए यूपीआई के जरिए अक्तूबर माह में एक अरब लेनदेन हुए हैं। वहीं पिछले महीने सितंबर में इसके जरिए 95.5 करोड़ लेनदेन हुए थे। साल-दर-साल आधार पर, UPI लेनदेन में 2.3 गुना या 135 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
गौरतलब है कि यूपीआई, जिसमें अभी 141 से अधिक बैंक हैं, डेबिट, क्रेडिट और ई-वॉलेट के विकल्प के रूप में उभरा है।
पहली बार डेबिट कार्ड से अधिक हुआ यूपीआई ट्रांजेक्शन
आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2018-19 में यूनीफाइड पेमेंट इंटरफेस यानि यूपीआई के जरिए डिजिटल पेमेंट ने डेबिट कार्ड से हुए लेनदेन को पीछे छोड़ दिया। वित्त वर्ष 2019 में देश में 5.35 बिलियन यूपीआई ट्रांजेक्शन हुए, जबकि डेबिट कार्ड के जरिए सिर्फ 4.41 बिलियन लेनदेन हुए। देश में ऐसा पहली बार हुआ है कि यूपीआई ट्रांजेशक्शन के आंकडों ने डेबिट कार्ड के जरिए लेनदेन के आंकड़ों को पीछे छोड़ दिया है।
सुरक्षित है यूपीआई के जरिए डिजिटल पेमेंट
यूपीआई के जरिए पैसों के लेनदेन में कहीं भी कोई दिक्कत नहीं होती है, साथ ही इसके जरिए ट्रांजेक्शन काफी सुरक्षित भी है। इसमें स्मार्ट फोन पर पहले एप लांच किया जाता है और फिर उसी के द्वारा जिसे पैसा भेजना है उसके मोबाइल नंबर को जोड़कर रकम ट्रांसफर कर दी जाती है। इसमें गलती की गुंजाइश न के बराबर है, साथ ही पैसा ट्रांसफर होने के बाद तत्काल पता भी चल जाता है। सरकार की तरफ से लांच किए गए BHIM एप के अलावा निजी कंपनियों की तरफ से संचालित ‘PhonePe’ और ‘Tez’ एप भी यूपीआई प्लेटफार्म के जरिए डिजिटल पेमेंट को बढ़ाने में भूमिका निभा रहे हैं।

IndiaFirst is about protecting the country’s strategic interests and ensuring robust economic growth.