विपदा के वक्त दिखाई देती है, भारत की एक भारत श्रेष्ठ भारत की छवि
यूं तो विश्व ने हम भारतीयों की ताकत का लोहा पहले भी कई बार माना है। समूची दुनिया ये अच्छी तरह से जानती है कि जब जब भारत किसी विपदा में होता है, तो वो इससे अपनी एकता की ताकत के दम पर बाहर निकलकर दिखाता है, इसका जीता जागता सबूत भारत ने तब पेश किया, जब कोरोना को हराने के लिये पीएम मोदी जी की एक अपील के चलते, रविवार को रात 9 बजे 9 मिनट, 130 करोड़ भारतीयों ने दीपक जला कर दिया। वैसे ऐसे मौके पहले भी भारत में देखे जा चुके हैं, जिसकी चर्चा आज हम करने जा रहे हैं।
एकता के प्रकाश में बंधा भारत
कोरोना वायरस के चलते आज के दौर में जो अंधकार छाया हुआ था, उसे भारत ने कल अपनी एकता के प्रकाश से हरा दिया है। जिसके बाद बचा कोरोना पर भारतीयों की जीत की बात, तो बस वो भी अब कुछ ही कदम दूर है। रविवार को रात 9 बजे क्या उत्तर भारत हो, दक्षिण भारत हो, पश्चिम भारत हो या पूर्वी भारत हर तरफ सिर्फ प्रकाश ही प्रकाश देखने को मिला, हिमालय से लेकर सागर की गहराई तक हर तरफ बस एक ही दिव्य शक्ति दिखाई दे रही थी, वो थी भारत की एकता, जिसकी ताकत इतनी होती है कि बड़े से बड़े अंधकार को चंद मिनटों में खत्म कर देती है। वो एकता की शक्ति जिसने देश में राजा और रंक का भेदभाव खत्म कर दिया। जिसने ऊँचाई और गहराई को खत्म कर दिया, जात पात में बटे समाज की दूरी कम कर दी, शायद पीएम मोदी कुछ इसी शक्ति का आभास विश्व को करवाना चाहते थे कि भारत के पास वो अलौकिक शक्ति है,जो बड़ी से बड़ी विपदा का भी नाश कर सकती है।
पोखरण के वक्त भी कुछ इस तरह एक हुआ भारत
ये उस दौर की है, जब भारत विश्व में ये बताने की कोशिश में लगा हुआ था कि भारत की धैर्यता को उसकी कमजोरी न समझा जाये। इसका सबूत अटल सरकार ने उस वक्त दिया, जब पोखरण में भारत ने परमाणु बम परीक्षण करके दिखाया। जिसके बाद विश्व समुदाय ने भारत पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिये थे, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था की हालत कुछ खराब होने लगी थी। लेकिन देश फिर से उभरा वो भी सिर्फ एक ताकत के चलते वो थी भारतीयों की एकता की ताकत जिसके दम पर भारत ने उस दौर में न केवल विजय हासिल की बल्कि विश्व को दिखा दिया कि वो एक आत्मनिर्भर देश भी है औऱ धीरे धीरे विश्व समुदाय को अपना सिर झुकाना ही पड़ा।
प्राकृतिक आपदा के वक्त दिखती है, एकता की अनूठी मिसाल
गुजरात में आया भूकंप, उत्तराखंड में आया सैलाब या दक्षिण भारत में आई सूनामी तूफान, हर बार विपदा के वक्त उत्तर से लेकर दक्षिण तक सभी भारतीय मिलकर मुकाबला करते है। एकता के सामूहिक बल को कुछ यूँ भारतीय दिखाते हैं कि बड़ी से बड़ी विपदा का हल तुरंत हो जाता है। हर तरफ उस वक्त सिर्फ सबको एक ही रंग चढ़ा होता है वो है, तिरंगा का रंग जो देश को एकता की ऐसी शक्ति देता है,जिसका कहना ही क्या, उस वक्त साउथ की अंम्मा का डोसा कब पंजाबियों के लिये सरसों के साग का स्वाद बन जाता है ये हम भारतीयों से अच्छा कौन समझ सकता है। जब पश्चिम का वड़ापाव पूरब की दाल बाटी के साथ घुला मिला दिखता है।
जब देश पर आया अनाज का संकट
ये उस दौर की बात है, जब हम कुछ वक्त पहले ही आजाद हुए थे। भारत उस वक्त तेजी से विकास के रथ पर सवार था, जिसे देखकर कुछ भारत विरोधियों के दिल में जलन पैदा होने लगी थी और उन्होने भारत में आनाज की पूर्ती करना बंद कर दिया था, जिससे देश में आनाज का संकट पैदा हो गया था। लेकिन उस दौर में भी हमने इस संकट को अपने एक सबसे बड़े हथियार एकता के जरिये ही हराया था। उस वक्त के पीएम शास्त्री जी की अपील पर एक दिन के उपवास को देशवासियों का भरपूर समर्थन मिला था। भारत के अन्नदाताओं ने भी ये दिखा दिया कि वो कुछ भी करके देश को अनाजों से भर देंगे, जिसका नतीजा ये हुआ कि भारत आज खुद विदेश में निर्यात कर रहा है। एकता की जो मिसाल उस वक्त देशवासियों ने दी थी उससे समूचे विश्व में हर भारतीय का सिर गर्व से भर गया था।
युध्द के दौरान
वैसे तो भारत का इतिहास है कि भारत ने अपनी तरफ से कभी भी जंग की शुरूआत नही की, लेकिन अगर उसपर जंग थोपी गई, तो भारतीय सूरवीरों ने दुश्मनों के पसीनें छुड़ाकर हर जंग में विजय ही हासिल की है। लेकिन अब बात हम उस वक्त की करते हैं जब भारत गुलामी की जंजीर तोड़कर अपना आने वाला कल संवार रहा था। तभी हमारे पड़ोसी दोस्त, दोस्त बोलकर भारत की पीठ पर खंजर से वार करने लगे। जिसका मुकाबला भारत ने पूरी वीरता से किया, इस दौरान सैनिकों की कमी न हो इसके लिये देश की माँ ने एक तरफ हँसते हँसते अपने बेटे माँ भारती की चरणों में अर्पित किये ,तो उन्हें लड़ाई में कोई दिक्कत न आये इसके लिये अपने मंगलसूत्र तक दान में दे दिये। आज भी उन विरांगनाओं को भारत नमन करता है और जो एकता की ज्योति वो जलाकर गई हैं उन्हें जलाये रखने के लिये लगा रहता है।
इसी तरह आजादी की लड़ाई में भी एकता की ताकत ही हम भारतीयों की सबसे बड़ी ताकत बनी थी। कुलमिलाकर जब जब देश को विपदाओं ने घेरा है, भारत एक भारत और पहले से श्रेष्ठ भारत बनकर उभरा है। जिससे हर अंधकार को भारत ने मिटाया है। अब कोरोना की बारी है जिसे जल्द ही हम हराकर जीत की नई गाथा लिखकर दुनिया को दिखाएंगे।

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