आज हम देश के सामने दो उदाहरण पेश करने जा रहे है जिसके जरिये देश में चल रही दो विचारधारा का भी पता चलता है। एक तरफ इंदौर शहर है जो लगातार पांचवी बार साफ सफाई के मामले में देश में अव्वल आया है जो ये बताता है कि अगर सच्चे मन से और पूरी ईमानदारी से किसी काम को लिया जाता है तो वो लक्ष्य पूरा होता है। तो दूसरी तरफ दिल्ली शहर की प्रदूषित यमुना नदी है जो ये बताती है कि कैसे सिर्फ चुनावी मुद्दा और वादा करके भूल जाया जाता है क्योकि यमुना अभी भी सफाई के लिये राह देख रही है।
इंदौर ने लगाया स्वच्छता का पंच
2021, स्वच्छता में पांचवी बार भी नंबर वन आकर इंदौर ने बता दिया है कि सफाई की इस शहर की रगों में बसती है। सूरत, विजयवाड़ा सहित देश के कई शहरों को पछाड़ते हुए इंदौर में नंबर का अपना खिताब कायम रखा जो ये बताता है कि इंदौर और एमपी का प्रशासन सफाई को लेकर सिर्फ बाते नहीं करती बल्कि उसे अमल में भी लाती है। इतना ही नहीं अब इंदौर पानी की सफाई पर भी ध्यान देने की योजना बना रहा है जिससे उसके शहर के नालों के पानी से साफ पानी शहर को मिल सके जिससे कई तरह के काम निपटाये जा सकेगे। यानी की जहां कुछ लोग सिर्फ सफाई पर वादे की बात करने में लगे है तो इंदौर उनसे एक कदम आगे निकल कर अब पानी की सफाई पर काम करने जा रहा है। इसके पीछे एमपी सरकार का भी बड़ा योगदान रहा है तभी तो 10 लाख आबादी वाले शहरों में मध्य प्रदेश का इंदौर पहले नंबर पर रहा, भोपाल सातवें, ग्वालियर 15वें और जबलपुर 20वें नंबर पर रहा। वहीं एक लाख से 10 लाख तक आबादी वाले शहरों में मध्य प्रदेश के 25 शहरों के नाम है। 50 हजार से एक लाख आबादी वालों में 26 शहरों के नाम है। 25 हजार आबादी वाले शहरों में 26 शहरों के नाम है।
दिल्ली की यमुना को मिला सिर्फ वादा ही वादा
दूसरी तरफ दिल्ली की यमुना है जो आज भी राह तक रही है कि आखिर दिल्ली सरकार कब अपना वादा पूरा करेगी जबकि यमुना को लेकर सरकार सिर्फ तारीख पर तारीख दे रही है। पहले 2015 में किया था वादा कि वो यमुना को साफ कर देगे फिर 2019 में किया वादा कि 2 साल के भीतर यमुना को प्रदूषण मुक्त कर दिया जायेगा जबकि यमुना की हालत जस की तस ही रही। अब एक नई तारीख और दे दी गई है जिसमें यमुना को पांच सालो के भीतर साफ करने की बात कही जा रही है जो ये दिखाता है कि सिर्फ वादे करके भूल जाना और पूछे जाने पर पहले तो दूसरों पर आरोप लगाना फिर बात ना बने तो एक और झूठा वादा करके किनारे से निकल जाना ये दर्शाता है कि सरकार सिर्फ सत्ता में बैठकर लोगों को मूर्ख बनाने में लगी हुई है।
मजे की बात तो ये है कि इसके बाद भी ये भरी सभा में आरोप लगाते है कि उनका काम दूसरों से काफी अच्छा है। सियासत की ये रणनीति से अब देश को आजाद होना पड़ेगा और ये बताना पड़ेगा कि देश उसी के साथ होगा जो देश के विकास के लिये कार्य करेगा।