सरकार के डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा के साथ ही यूपीआई, भीम ऐप और डिजिटल वॉलेट के माध्यम से लेनदेन में तेजी आयी है। वित्तीय कंपनी रेजरपे ने मंगलवार को यहां ‘द एरा ऑफ राइजिंग फिनटेक’ रिपोर्ट का चौथा संस्करण जारी किया जिसमें यह खुलासा किया गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि डिजिटल भुगतान अपनाने के मामले में कर्नाटक अव्वल राज्य रहा, वहीं डिजिटलाइज्ड शहरों में बेंगलुरु पहले और दिल्ली दूसरे स्थान पर है। इस मामले में हैदराबाद तीसरे स्थान पर रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली-एनसीआर में डिजिटल लेनदेन वर्ष 2018 की तुलना में 2019 में 235 फीसदी बढ़ा है। दिल्ली एनसीआर में यूपीआई लेनदेन 2018 और 2019 के बीच 442 फीसदी बढ़ा। दिल्ली-एनसीआर में वित्तीय सेवा क्षेत्र में डिजिटल भुगतान की हिस्सेदारी सबसे अधिक 12 फीसदी से अधिक रही। दिल्ली एनसीआर के लोग खाद्य और पेय पदार्थों के साथ ही यात्रा के लिए डिजिटल भुगतान का उपयोग तेजी करने लगे हैं।
इस रिपोर्ट के सभी निष्कर्ष जनवरी 2018 से दिसंबर 2019 तक रेजरपे प्लेटफार्म पर हुए लेनदेन पर आधारित हैं। रेजरपे के सीईओ और को-फाउंडर श्री हर्षिल माथुर ने कहा, ‘पिछले साल दिल्ली में फिनटेक क्षेत्र के लिए काफी जोर रहा, नए डिजिटल भुगतान मोड को अपनाने के साथ, डिजिटल मुद्रा को मुख्यधारा में लाया गया है।
रेजरपे के बारे में:
बता दे की रेजरपे सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड वित्तीय सेवा प्रदाता कंपनी है, जो किसी भी व्यवसाय में भुगतान के समूचे सफर को व्यापक और अभिनव तकनीकी समाधानों के साथ भारतीय व्यवसायों की मदद करती है। 2014 में स्थापित, कंपनी 800,000 से अधिक व्यवसायों को प्रौद्योगिकी भुगतान समाधान प्रदान करती है। आईआईटी रुड़की के पूर्व छात्रों शशांक कुमार और हर्षिल माथुर द्वारा स्थापित, रोजरपे सिलिकॉन वैली के सबसे बड़े टेक एक्सीलेटर, वाई कॉम्बिनेटर का हिस्सा बनने वाली दूसरी भारतीय कंपनी है।
यूपीआई पेमेंट:
यूपीआई से लेनदेन को बढ़ावा देने में कई कारकों ने अहम भूमिका निभाई है। एटीएम कार्ड और अन्य भुगतान कार्ड की तुलना में यूपीआई काफी सुविधाजनक है। इसे मोबाइल फोन के लिए तैयार किया गया है। जहां कार्ड से भुगतान करने में कार्ड नंबर, एक्सपायरी डेट, CVV, OTP आदि दर्ज करना पड़ता है, वहीं यूपाई से भुगतान के लिए सिर्फ एक पिन की जरूरत होती है। इसके अलावा यूपीआई के कई ऐप इंसेंटिव और कैश बैक की पेशकश करते हैं।
वहीं उपभोक्ताओं के बीच अमेज़न पे सबसे पसंदीदा वैलेट रहा है और इसका इस्तेमाल 33 प्रतिशत यूजर्स ने किया। इसके बाद 2019 में ओला मनी (17 प्रतिशत) का नंबर रहा है। 2019 के लिए डिजिटल भुगतान अपनाने में शीर्ष तीन क्षेत्रों में खाद्य और पेय (26 प्रतिशत), वित्तीय सेवाएं (12.5 प्रतिशत) थीं। और परिवहन (8 प्रतिशत) रहा है। UPI में, Google पे ने 59 प्रतिशत योगदान दिया, PhonePe ने 26 प्रतिशत का योगदान दिया, इसके बाद Paytm (7 प्रतिशत) और BHIM (6 प्रतिशत) ने 2019 में डिजिटल लेनदेन में योगदान दिया।
प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार ने डिजिटल पेमेंट के बढ़ावे और डिजिटल इंडिया के सपने को पूरा करने के लिए कई प्रयास किए हैं। डालते हैं एक नजर-
यूपीआई लेनदेन पर एमडीआर शुल्क खत्म
मोदी सरकार ने आम आदमी को राहत देने के लिए रुपे कार्ड और यूपीआई ट्रांजेक्शंस पर एमडीआर शुल्क (मर्चेंट डिस्काउंट रेट) को खत्म कर दिया है। इससे लोगों को यह फायदा होगा कि उन्हें ट्रांजेक्शन करते समय कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना पड़ेगा। इसके साथ ही रुपे कार्ड पर 16 हजार रुपये कैश बैक पाने का नया ऑफर भी शुरू किया गया है। इस कार्ड पर ग्राहकों को मुफ्त में 10 लाख रुपये की कीमत का व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा कवर दिया जाता है।
ग्राहकों को लगने वाले NEFT/ RTGS शुल्क ख़त्म
मोदी सरकार के फैसले के बाद एक बड़ा बदलाव करते हुए RBI ने रोजमर्रा की जरूरतों में शामिल RTGS एवं NEFT सुविधाओं पर लगने वाले शुल्क को समाप्त करने की घोषणा की है। RBI ने बैंकों को दिशानिर्देश दिए हैं कि इन सुविधाओं का लाभ सीधा ग्राहकों को दिया जाये| फ़िलहाल सभी सरकारी तथा निजी बैंक RTGS एवं NEFT सुविधा के द्वारा ट्रांसफर की गयी राशि पर 2.5 रुपया से 25 रूपये तक का शुल्क लेते हैं।
इसके अलावा RBI ने ये भी निर्णय लिया है कि इंडियन बैंक्स एसोसिएशन के CEO के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया जायेगा, जो एटीएम शुल्क और ग्राहकों से बैंक द्वारा लिए गए अन्य सभी शुल्कों की जाँच करेगी और अपनी सिफारिश RBI को पेश करेगी।
वर्ष 2018-19 में पहली बार डेबिट कार्ड से अधिक हुआ यूपीआई ट्रांजेक्शन
आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2018-19 में यूनीफाइड पेमेंट इंटरफेस यानि यूपीआई के जरिए डिजिटल पेमेंट ने डेबिट कार्ड से हुए लेनदेन को पीछे छोड़ दिया। वित्त वर्ष 2019 में देश में 5.35 बिलियन यूपीआई ट्रांजेक्शन हुए, जबकि डेबिट कार्ड के जरिए सिर्फ 4.41 बिलियन लेनदेन हुए। देश में ऐसा पहली बार हुआ है कि यूपीआई ट्रांजेशक्शन के आंकडों ने डेबिट कार्ड के जरिए लेनदेन के आंकड़ों को पीछे छोड़ दिया है।

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