एक दौर हुआ करता था जब देश के बड़े बड़े पुरस्कारों पर सिर्फ कुछ नामी-गिरामी लोगों के नाम पर ही चर्चा होती थी, खास कर उनलोगों की जो सत्ता के गलियारों के करीब माने जाते थे और उन्हे ही ये खिताब दे दिये जाते थे लेकिन अब ऐसा देखने को नही मिलता है क्योकि मोदी सरकार के पिछले 6 साल में जिन लोगो को खिताबो से नवाजा है वो कही न कही सच में देश के असल हीरो है, जिन्होने अपने अपने सेक्टर में कुछ ऐसा काम किया है जिसे भुलाया नही जा सकता है, जो अमिट है और उसने भारत को नई पहचान दी है फिर वो लालटेन की रोशनी में इलाज करने वाले डॉ. दिलीप, डोमराजा परिवार के जगदीश हो या फिर देश को मजबूत करने वाले नृपेंद्र मिश्र जैसे अधिकारी हो जिन्होने हमेशा देशहित में काम किया और देश का नाम चौंकाया। चलिये ऐसे ही कुछ खिताब पाने वालो से आपको रूबरू करवाते है
भागलपुर के डॉ. दिलीप कुमार सिंह को पद्मश्री सम्मान
सबसे पहले बात करते है भागलपुर के डॉ. दिलीप कुमार सिंह जी की जिन्हे पद्मश्री सम्मान से नवाजा जायेगा। 1980 में गरीबों के बीच मुफ्त पोलियो टीका वितरण के लिए इनका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड में दर्ज है। पीएमसीएच के अलावा उन्होंने लंदन से पढ़ाई की और अमेरिका के न्यूयार्क शहर में अपनी सेवा दी है। डॉ. दिलीप का जन्म 26 जून 1926 को बांका में हुआ था। वह एक जेनरल प्रैक्टिसनर और फैमिली फिजिशियन हैं। उन्होंने एमबीबीएस की डिग्री 1952 में पटना मेडिकल कालेज से ली 1953 में उन्होंने पीरपैंती में प्रैक्टिस शुरू की। उस वक्त न बिजली थी न टेलीफोन की सुविधा और न ही पिच रोड। उस स्थिति में वह लोगों के गांव-गांव जाकर लालटेन की रोशनी में इलाज करते थे। उन्होंने अपना डिप्लोमा ट्रॉपिकल मेडिसीन एंड हाइजिन लिवरपूल से किया। उन्हें विदेश में रहकर प्रैक्टिस करने का अवसर भी था और सुविधाएं भी थी लेकिन वह अपने गांव में गरीब जनता की सेवा करना चाहते थे।बस मन में ठान लिया और हाथो में लालटेन लेकर गांव गांव इलाज करने निकल गये। आज उनकी उम्र 90 साल की है।
डोमराजा परिवार से जुड़ा सुनहरा अध्याय, स्व. जगदीश चौधरी को मरणोपरांत पद्मश्री पुरस्कार
वैसे काशी के डोमराजा का इतिहास बहुत पुराना है उनको लेकर कई किस्से भी काशी मशहूर है।काशी के डोमराजा चौधरी परिवार में सोमवार को एक सुनहरा अध्याय जुड़ गया। चौधरी खानदान के छठे डोमराजा स्व. जगदीश चौधरी पद्म अलंकरण पाने वालों की सूची में शामिल हुए हैं। उन्हें मरणोपरांत पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। पहलवानी और शरीर शौष्ठव में खास दखल रखने वाले जगदीश चौधरी अपने परिवार में पहलवानी परंपरा की अंतिम कड़ी थे। पिछले लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के प्रस्तावक रहे जगदीश चौधरी तीन साल पहले डोमराजा बनाए गए थे।
डायन के खिलाफ संघर्ष करने वाली छुटनी को मिला पद्मश्री अवार्ड
इस बार पद्मश्री अवार्ड एक ऐसी महिला को भी दिया गया है जिसे डायन के नाम पर घर से निकाल दिया गया था।जी हां हम बात कर रहे है सरायकेला की छुटनी महतो की जो घर से निकाल दिए जाने के चुप नही बैठी बल्कि डायन के नाम पर प्रताड़ित लोगों का सहारा बनीं। आज वह झारखंड ही नहीं अन्य राज्यों के प्रताड़ित महिलाओं के लिए ताकत बन चुकी हैं। लगभग 63 वर्षीया छुटनी महतो सरायकेला खरसावां जिले के गम्हरिया प्रखंड के भोलाडीह बीरबांस का रहने वाली हैं। छुटनी निरक्षर हैं परंतु हिन्दी, बांगला और ओड़िया पर उसकी समान पकड़ है।
कोरोना काल में मौत होने के बाद शमशान पहुंचाने वाले जितेन्द्र सिंह शंटी को मिला पदमश्री
कोरोना के मरीजों की सेवा और उनकी मौत के बाद उन्हें शमशान घाट पहुंचाने वाले दिल्ली के समाज सेवक जितेन्द्र सिंह शंटी को देश के सर्वोच्च अवार्ड में शामिल पदमश्री अवार्ड से सम्मानित किया गया है। भारत सरकार ने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पदमश्री अवार्ड की घोषणा की गई। जिसमें जितेन्द्र सिंह शंटी का नाम शामिल था। इससे पहले उन्हें उनकी समाज सेवा के लिए लिम्का वर्ल्ड रिकॉर्ड में जगह दी गई थी। विवेक विहार के रहने वाले जितेन्द्र सिंह शंटी लंबे समय से समाज सेवा के काम में लगे हुए हैं। उन्होंने शहीद भगत सिंह सेवा दल का निर्माण किया और उसके जरिए लोगों को अस्पताल पहुंचाने, मृत लावारिस शवों और मृतकों के शवों को शमशान पहुंचाने और लावारिस शवों का क्रियाक्रम करने का काम करते हैं। इतना ही नही इस काम में उनकी मदद उनके परिवार ने भी भरपूर की। खुद शंटी को बी कोरोना हो गया था लेकिन इसके बाद भी वो नही रुके ठीक होने के बाद एक बार फिर से उन्होने वैसे ही लोगो की सेवा की जैसे पहे कर रहे थे।
आईएएस अफसर नृपेंद्र मिश्र को मिला पद्म भूषण
नृपेंद्र मिश्रा वो तेज तर्रार अफसर जिसने जिस काम का बीड़ा उठाया उसे पूरा करके ही माने देश के विकास में उनका योगदान किसी से कम नही रहा है। देवरिया जिले की बरहज तहसील के कसिली गांव का नाम एक बार फिर से राष्ट्रीय फलक पर चमका है। कसिली के पहले आईएएस अफसर रहे नृपेंद्र मिश्र को सरकार ने पद्म भूषण देने का एलान किया है। वह इस समय श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट मंदिर निर्माण समिति के चेयरमैन हैं। इससे पूर्व वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रधान सचिव भी रहे थे।
रायबरेली की एथलीट सुधा सिंह को पद्मश्री
अंतरराष्ट्रीय एथलीट एवं एशियन गेम्स में गोल्ड और सिल्वर मेडल जीत चुकी सुधा सिंह को भारत सरकार द्वारा पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किए जाने की घोषणा से यहां जिले भर में खुशी की लहर दौड़ गई। भारत सरकार के इस निर्णय पर घरवालों ने मिठाई खिलाकर खुशी का इजहार किया। शाम को पद्म सम्मानो की लिस्ट में 105 वे नंबर पर सुधा सिंह का नाम शामिल किया गया है। नामों की घोषणा होते ही यहां जिले के खेल प्रेमियों में खुशी की लहर दौड़ गई। पिता हरि नारायण सिंह ने खुशी का इजहार करते हुए कहा कि भारत सरकार द्वारा बेटी दिवस के एक दिन बाद ही दिए गए इस उपहार ने हम लोगों को गदगद कर दिया है।
यानी साफ तौर पर ये बोला जा सकता है कि अब खिताब उन्हे मिलता है जो इसके पक्के हकदार होते है। सच में मोदी जी जमीन से जुड़े हुए है तभी तो वो ऐसे ऐसे देश के नगीनो को खोज के हमारे सामने लाते है जिनके बारे में जान कर हम सब का सीना चौड़ा हो जाता है।