मोदी कैबिनेट में 43 नए चेहरों ने मंत्री पद की शपथ ली। सबको मंत्रालय अलॉट कर दिए गए हैं। वैसे तो हर मंत्रालय की अपनी अहमियत है, मगर कुछ के फैसलों का जनता की जेब पर सीधा असर होता है। बजट का जिम्मा संभालने वाला वित्त मंत्रालय तो है ही, पेट्रोलियम मंत्रालय के हर फैसले का असर पूरे देश पर साफ नजर आता है। यात्री सेवाओं के मंत्रालय भी पब्लिक की जेब पर सीधा असर डालते हैं। आइये आपको मोदी सरकार के ऐसे ही 5 मंत्रियों से रूबरू कराते हैं।
निर्मला सीतारमण के कंधों पर है सबसे बड़ी जिम्मेदारी
मोदी 2.0 में वित्त मंत्रालय संभाल रहीं निर्मला सीतारमण अपने राजनीतिक जीवन की सबसे कठिन चुनौती का सामना कर रही हैं। कोविड-19 महामारी ने अर्थव्यवस्था की कमर तोड़कर रख दी है। सीतारमण ने दो-दो बार राहत पैकेज की घोषणा की है। वह कोविड-19 इकनॉमिक रेस्पांस टास्क फोर्स की इंचार्ज भी हैं। उनके हर फैसले का असर आम आदमी की कमाई पर पड़ता है। फिर चाहे वह टैक्स से जुड़ा मसला हो या फिर कोई नई पॉलिसी। देश की जनता की जेब में कितना पैसा रहेगा, यह काफी हद तक सीतारमण के फैसलों पर निर्भर है। वैसे लोगों की जेब में ज्यादा बचत हो सके इसके लिये लगातार मंत्री जी नई नई योजना ला रही है लेकिन इसका क्या असर होगा ये तो आने वाले वक्त में पता चलेगा ।
पेट्रोल-डीजल में लगी आग कैसे बुझाएंगे पुरी?
हरदीप सिंह पुरी को प्रमोट कर ऐसा मंत्रालय दिया गया है जहां की स्थिति काफी हद तक विदेशी बाजारों पर निर्भर करती है। पेट्रोलियम और नैचरल गैस मंत्रालय के साथ-साथ पुरी शहरी विकास मंत्रालय का जिम्मा भी संभालेंगे। देश के कई हिस्सों में पेट्रोल 100 रुपये लीटर का आंकड़ा पार कर चुका है। डीजल भी ज्यादा पीछे रहीं। पेट्रोल-डीजल की महंगाई ने खाद्य पदार्थों के अलावा ट्रांसपोर्ट पर निर्भर अन्य उत्पादों की लागत भी बढ़ा दी है। पुरी के सामने चुनौती विदेशी बाजारों में कच्चे तेल की कीमतों में उछाल का असर कम से कम करने की है। अगर वह ऐसा कर लेते हैं तो आम जनता को जरूर बड़ी राहत मिलेगी। पदभार संभालते हुए पुरी ने साफ किया है कि वो इसपर जल्द ही कुछ ठोस कदम उठायेगे। फिलहाल उन्हे कुछ वक्त दिया जाये।
नए रेल मंत्री से किराय ना बढ़ाने की उम्मीद ?
कोविड के समय में रेलवे ने छोटी दूर की गाड़ियों का किराया बढ़ाया है। भारतीयों की जीवन-रेखा कही जाने वाली भारतीय रेल से जुड़े फैसलों का जनता पर काफी असर पड़ता है। रेल किराए में जरा सी बढ़त का व्यापक असर होता है क्योंकि अधिकतर सामान की ढुलाई रेल के जरिए ही होती है। नए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के पास बतौर IAS अधिकारी पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) में काम करने का अच्छा-खासा अनुभव है। रेलवे भी धीरे-धीरे प्राइवेटाइजेशन की ओर देख रहा है, ऐसे में वैष्णव के फैसलों के दूरगामी परिणाम होंगे।
देश का पेट भरने का जिम्मा पीयूष गोयल का
अब तक रेल मंत्रालय देख रहे पीयूष गोयल को टेक्सटाइल्स दे दिया गया है। हालांकि ग्राहक मामलों, खाद्य एवं जन वितरण मंत्रालय का जिम्मा होने की वजह से गोयल अहम भूमिका में बने रहेंगे। गोयल पर देश का पेट भरने की जिम्मेदारी है। कीमतों पर नजर रखने का काम भी गोयल के ही मंत्रालय का है।
एविएशन सेक्टर को पटरी पर लाना सिंधिया की चुनौती
दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ता एविएशन मार्केट भारत का है। कोविड की वजह से इस सेक्टर को खासा नुकसान पहुंचा है। लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर रोक है जिससे लोगों के साथ-साथ एयरलाइन कंपनियों को खासा झटका लगा है। जब घरेलू उड़ानें शुरू की गईं तो कई नियम-कायदों की वजह से मजबूरन किराया बढ़ाना पड़ा। नतीजा आम आदमी ने भुगता। ऐसे में सिंधिया के आगे चुनौती होगी कि वह किराए में इजाफे से बचते हुए एविएशन सेक्टर को पटरी पर कैसे लाते हैं। सिंधिया के फैसलों का जनता पर कितना असर होगा, इसका अंदाजा इस बात से लगाएं कि साल 2016 में 13 करोड़ से भी ज्यादा लोगों हवाई यात्राएं की।
अब आने वाले वक्त में ही पता चलेगा कि आखिर इन मंत्रियों में कौन खरा उतरता है जो देश की जनता को राहत दे पायेगा या नहीं।