दुनिया भर में आतंकवादियों को आर्थिक मदद रोकने के लिए काम करने वाली संस्था फाइनेंसिएल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की अहम बैठक फ्रांस की राजधानी पेरिस में रविवार को शुरू हुई। इस बैठक में पाकिस्तान को आतंकी फंडिंग रोकने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में विस्तृत रिपोर्ट जमा करनी है। एफएटीएफ ने पाकिस्तान को अभी निगरानी वाली ‘ग्रे’ सूची में रखा है। अगर उसकी रिपोर्ट संतोषजनक नहीं मिलती है तो उसे काली सूची में भी डाला जा सकता है।
फाइनेंसिएल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की वेबसाइट पर डाले गए वक्तव्य में कहा गया है कि पाकिस्तान और वैश्विक वित्तीय प्रणाली के लिए खतरा बने कुछ देशों द्वारा आतंकवाद को धन मुहैया कराने की रोकथाम में प्रगति की समीक्षा की जाएगी।
छह दिन की बैठक में दो सौ पांच देशों के आठ सौ से अधिक प्रतिनिधि, संयुक्त राष्ट्र, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक और अन्य संगठन अपराध और आतंकवाद को बढ़ावा देने की गतिविधियों के खिलाफ वैश्विक कार्रवाई पर विचार विमर्श करेंगे।
पेरिस स्थित इस निगरानी संगठन ने जून 2018 में पाकिस्तान को ग्रे-लिस्ट यानी संदिग्ध सूची में रखा था। उसे अक्तूबर 2019 तक कार्य योजना पूरी करने का निर्देश दिया गया था, अन्यथा, निगरानी संगठन की ब्लैकलिस्ट में डाले जाने की चेतावनी दी गई थी।
FATF ने अक्तूबर की अपनी बैठक में इस बात पर गौर किया कि पाकिस्तान ने आतंकवाद को धन मुहैया कराए जाने की रोकथाम के लिए सौंपे गए 27 दायित्वों में से केवल पांच पर ही काम किया। अंतर-सरकारी संगठन FATF ने पाकिस्तान से फरवरी 2020 तक पूरी कार्ययोजना पर अमल के लिए कहा था।
आतंकियों पर कार्रवाई का दिखावा कर रहा पाकिस्तान
नकदी संकट से जूझ रहा पाकिस्तान एफएटीएफ की आंखों में धूल झोंकने के लिए आतंकियों और उनके संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करने का दिखावा कर रहा है। पाकिस्तान की एक अदालत द्वारा आतंकी सरगना हाफिज सईद को आतंकी फंडिंग के दो मामलों में सुनाई गई 11 साल की सजा को भी इसी कड़ी में देखा जा रहा है। लेकिन जैश ए मुहम्मद का सरगना मसूद अजहर, मुंबई हमले का मास्टरमाइंड जाकिर रहमान लखवी जैसे खूंखार आतंकियों पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
बैठक में पाकिस्तान की असलियत बताएगा भारत
भारत, पाकिस्तान पर आतंकी गुटों के लिए धन मुहैया कराना बंद करने का दबाव बनाएगा। खासतौर पर जैश-ए-मोहम्मद सरगना मौलाना मसूद अज़हर और लश्कर-ए-तैयबा के जकी-उर-रहमान लखवी के खिलाफ कार्रवाई के लिए दबाव बनाया जाएगा। पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से बाहर करने के किसी भी कदम का विरोध भारत इस तर्क के साथ करेगा कि वहां अभी तक सिर्फ एक अंतरराष्ट्रीय आतंकी के खिलाफ कदम उठे हैं। दूसरी तरफ फ्रांस जैसे कुछ दूसरे देश भी हैं जो पाकिस्तान की तरफ से उठाए जाने वाले कदमों को पर्याप्त नहीं मानते। उनका भी दवाब होगा कि पाकिस्तान को फिलहाल कोई छूट नहीं मिले।

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