रामविलास पासवान वो नेता जो बिहार के हाजीपुर शहर से सामाजिक न्याय की जेपी आंदोलन से जुड़ा और ऐसा जुड़ा कि देश की सियासत में लगातार इतिहास बनाता गया। शानदार व्यक्तित्व देश की युवा पीढ़ी के राजनीतिज्ञ, सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ साथ देश के सभी वर्गों के लिए लिए लंबे समय तक सीख देती रहेगी।यही वजह है कि आज देश संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव अंबेडकर और राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त दलित नेता बाबू जगजीवनराम के बाद राम विलास पासवास को ही सबसे बड़ा दलित नेता मानती है।
सवर्णों के आरक्षण के लिए उठाई थी आवाज
राम विलास पासवान एक ऐसे नेता थे जिन्होने सबसे पहले सवर्णों को भी 15 फीसदी आरक्षण देने की आवाज उठाई थी। उनका मानना था कि सवर्णों में भी गरीब और जरूरतमंद लोगों को आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए। ताकि वह भी समाज कदम से कदम मिलाकर सामान्य रूप से चल सकें। उनके मांग के अनुरूप ही केंद्र की मोदी सरकार ने सवर्णों को भी 10 फीसदी आरक्षण देने का निर्णय लिया। इसके लिए भी देश के सवर्णों में उनकी एक अलग पहचान बनी। जिसे देशवासी सदा याद रखेंगे। उनके बारे में लोगों का मानना है वह समाज के सर्वमान्य हितों को मानकर उसके लिए हमेशा आवाज उठाते रहे और न्याय दिलाते रहे। वे जीवन पर्यंत मजलूमों और मजदूरों की आवाज बने रहे।
सर्वाधिक मतों से जीतने का बनाया था इतिहास
1977 में रामविलास पासवान ने हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र से पहली बार जनता पार्टी की टिकट से चुनाव जीतकर विजयी घोषित हुए थे। पहली बार ही लोकसभा के चुनाव में उन्होंने सर्वाधिक वोटों से जीतने का विश्व रिकॉर्ड बनाया था। तब से वे लगातार हाजीपुर से चुनाव लड़ते रहे। इसी दौरान दूसरे चुनाव में श्री पासवान ने सर्वाधिक मतों से जीतने के अपने ही रिकॉर्ड को देखकर उससे भी अधिक मतों से जीत कर दोबारा अपना नाम विश्वस्तरीय रिकॉर्ड में दर्ज कराया था। यह उनके जीवन की बहुत बड़ी उपलब्धि थी। 1977 के बाद से हाजीपुर संसदीय क्षेत्र से 1984 में एक बार उनको हार का सामना करना पड़ा था । उसके बाद एक बार फिर हाजीपुर से चुनाव हार गए थे। यानि अपने राजनीतिक जीवन में दो बार चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था।

केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान 1977 में पहली बार हाजीपुर आए और तब से हाजीपुर के हो गए। वह अपनी बैठकों में जनसभाओं में बार-बार कहते थे “हाजीपुर की मिट्टी व जर्रा-जर्रा से से मेरा मां-बेटे का रिश्ता है यह अटूट है। हाजीपुर की मिट्टी की सेवा में मां की सेवा की तरह करता हूं करता रहूंगा ठीक ऐसा ही हुआ।“ जीवन पर्यंत वह हाजीपुर से जुड़े रहे। काफी दिनों से बीमार रहने के कारण इस बार हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र से अपने छोटे भाई को जिम्मेदारी संभालने के लिए चुनाव में उतारा था। वर्तमान में हाजीपुर संसदीय क्षेत्र से उनके छोटे भाई पशुपति कुमार पारस सांसद हैं।
केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान को छात्र जीवन से ही बिहार और देश की राजनीति और समाज लोगों की जरूरत व सामाजिक उथल-पुथल की पहचानने की अद्भुत शक्ति थी। इसी का नतीजा है कि वह एक गरीब परिवार से निकलकर बिहार से लेकर देश की राजनीति तक सफलता के शिखर पहुंच गए। बिहार और देश के ऐसे नेता रहे जो अपने जीवन के लगभग 50 साल से अधिक भारत की सक्रिय राजनीति में लगाया है। यह भी अपने आप में एक अलग रिकॉर्ड बना है। कोरोना काल में अनाज की पूर्ती हर राज्य में ठीक ढ़ग से हो इसका ध्यान उन्होने अंत समय तक रखा आज वो हमारे बीच नही है लेकिन उनकी याद सदा हमारे साथ रहेगी और इतिहास में वो अमर रहेगे।