भारत की शायद ही ऐसी विदेश-नीति आजादी के बाद रही होगी। क्योकि आज स्थिति ये है कि जहां रूस भारत को क्रूड ऑयल सस्ते में देने की बात कर रहा है तो दूसरी तरफ अमेरिका ये कहता हुआ नजर आ रहा है कि अगर भारत ये तेल लेता है तो अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्लंघन नही होगा।
अमेरिकी प्रतिबंधो का उल्लंघन नहीं
रूस भारत को डिस्काउंट पर क्रूड ऑयल ऑफर कर रहा है जिसे भारत खरीद सकता है। इसकी संभावना को लेकर जब अमेरिका से पूछा गया तो व्हाइट हाउस ने कहा कि यह रूस पर लगाए गए अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्लंघन नहीं होगा। दरअसल रूस ने यूक्रेन जंग के बीच में भारत से ऑयल खरीदने में छूट देने की बात कही है। बता दें कि भारत में प्रतिदिन लगभग 45 लाख बैरल तेल खपत होती है। भारत अपनी जरूरत का लगभग 80 प्रतिशत तेल आयात करता है और अप्रैल 2021 से जनवरी 2022 तक कुल 17.6 करोड़ टन कच्चे तेल का आयात किया था। इसमें से लगभग 2 प्रतिशत खरीद ही रूस से होती रही है। यूक्रेन संकट के बाद दुनिया भर में कच्चे तेल की कीमतों में लगभग 40 प्रतिशत की वृद्धि हो गई है। ऐसे में रूस द्वारा रूस द्वारा दिया गया सस्ते कच्चा तेल को खरीदना भारत के लिए फायदे का सौदा होगा। जिससे देश में तेल के दामो में कापी इजाफा नही होगा जो देश की आम जनता के हित में होगा।
भारत पहले भी कर चुका है साफ राष्ट्रहित सर्वोपरि
वैस खुद पीएम मोदी विश्व के कई मंचो से ये साफ कर चुके है कि अब नया भारत सिर्फ अपने देश का हित को देखते हुए ही विश्व के साथ समझौता करेगा। ऐसा देखा भी गया था जब भारत ने सार्क गुट में चीन के व्यापार मसौदे को ठुकरा दिया था जिसमे देश के कारोबारियों और किसानों का नुकसान हो रहा था इसी तरह कई बार देखा गया है कि राष्ट्रहितों को ध्यान में रखकर भारत ने कड़े और सख्त फैसले लिये है जिससे देश का फायदा हो। उधर भारत की इस कूटनीति को अब दुनिया भी समझ चुकी है जिसका अशर अब दिखने भी लगा है और अमेरिका का ये बयान इसका जीता जागता उदाहरण है।
अमेरिका के इस ताजे बयान के बाद उस दौर की याद जरूर आती है जब एक वक्त अमेरिका भारत के हर मुद्दे पर आगे बढ़कर सवाल करता था लेकिन आज ये स्थिति है कि भारत के हर मुद्दे पर भारत के साथ खड़ा दिखाई देता है और ये सब अगर हुआ है तो वो मोदी जी की कूटनीति के चलते।