देश में 5 राज्यो में चुनाव का दौर अपने चरम पर है चुनावी पारा भी खूब हाई है। एक दूसरे पर वाद विवाद का दौर भी खूब देखा जा रहा है। लेकिन इन सब के बीच आज हम आपके सामने चुनाव से जुड़ा वो किस्सा लेकर आये है जो ये बताते है कि चुनाव में जब दो महारथी आपस में टकराते है तो चुनाव और रोचक हो जाता है ऐसा भारत में कई बार देखा गया भी है। आइये आज हम ऐसी ही कुछ सीटो के बारे में बात करते है जब चुनाव एक तरफ और ये सीट का मुकाबला एक तरफ रहा है।
ममता VS शुभेन्दु के मुकाबले ने नंदीग्राम सीट को बनाया हॉटसीट
सबसे पहले वर्तमान में हो रहे चुनाव के दौरान तो सीट हॉटसीट बनी हम उसके बारे में चर्चा करते है मतलब हम बात कर रहे है बंगाल की नंदीग्राम सीट की जहां से ये दोनो चुनाव लड़ रहे है। दोनो ही कभी एक दूसरे के साथ मिलकर काम कर चुके है और तो और शुभेन्दु अधिकारी को तो ममता दीदी का बिलकुल बाया हाथ माना जाता था लेकिन आज एक दूसरे के खिलाफ ही ताल ठोक रहे दोनो के चलते नंदीग्राम सीट की चर्चा समूचे भारत में हो रही है। हालांकि कौन किसपे भारी पड़ेगा ये तो 2 मई को ही पता चलेगा लेकिन मुकाबला काफी करीबी होने वाला है ये सब जानते है। इसी तरह 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के वक्त अगर कोई सबसे ज्यादा हॉटसीट बन गई थी तो वो अमेठी की सीट थी जब राहुल गांधी के खिलाफ बीजेपी भी स्मृति ईरानी चुनावी मैदान में थी आलम ये था कि हर सीट से ज्यादा लोग इस सीट पर चर्चा करते हुए दिख रहे थे। इसी तरह 2015 में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव के वक्त अरविंद केजरीवाल और शीला दीक्षित की टक्कर भी खूब चर्चा में रही थी और नई दिल्ली सीट का चुनाव अपने आप में सबसे ज्यादा खास बन गया था।
पहले भी हो चुके है ऐसे मुकाबले
ऐसा नहीं है कि ऐसे मुकाबले अभी से देखने को मिल रहे है भारतीय राजनीत में ऐसे कड़े मुकाबले आजादी के बाद कई बार देखे गये है। सबसे पहले बात करते है 1962 की जब पंडित नेहरू को उनकी सीट फूलपुर से खुद समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया सीधे टक्कर दे रहे थे। उस वक्त कहां जा रहा था कि फूलपुर में दो दोस्तो की लड़ाई हो रही है। खुद लोहिया जी कहते थे कि “मैं कांग्रेस की सबसे मजबूत चट्टान से टकरा रहा हूं। मैं इसे तोड़ तो नहीं पाऊंगा लेकिन इसमें दरार जरूर डाल दूंगा।” कुछ यही हाल तब देखा गया जब रायबरेली से 1971 में इंदिरा गांधी को समाजवादी नेता जय प्रकाश नरायण ने टक्कर दी उस वक्त ये सीट सबसे ज्यादा चर्चा का कारण बनी। शायद आपको 1984 का वो चुनाव याद होगा जब अमिताभ बच्चन और सुंदर लाल बहुगुणा के बीच मुकाबला हुआ था तब इलाहाबाद सीट ने भी खूब चर्चा बटोरी थी। ठीक इसी तरह 1995 में हुए लोकसभा चुनाव में कर्नाटक की बेल्लारी सीट में कड़ा मुकाबला देखा गया था जब सोनिया और बीजेपी की फायर बॉड नेता सुषमा स्वराज के बीच मुकाबला हुआ था ठीक इसी तरह 2004 में गोविंदा और राम नाइक के बीच भी कड़ा मुकाबला हुआ था।
यानी चुनाव के अखाड़े में महारथियों का आपस में टक्कराना दशको से भारत की सियासत का हिस्सा रहा है। तभी तो हम गर्व से बोल सकते है कि भारत का लोकतंत्र सबसे ज्यादा मजबूत और सबसे ज्यादा ताकतवर है।