- 56 सालों में बनकर तैयार हुए बांध में पहली बार भरा इतना पानी
- दुनिया का दूसरा और भारत का सबसे बड़ा बांध है सरदार सरोवर
- पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 1961 में किया शिलान्यास
- 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था इसका उद्घाटन
सरदार सरोवर बांध में पहली बार उसकी जलस्तर क्षमता यानी 138.68 मीटर तक पानी भरा है. इस उपलक्ष्य में मंगलवार, 17 सितंबर को गुजरात सरकार पूरे राज्य में नमामि देवी नर्मदे महोत्सव मनाएगी. इस महोत्सव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शिरकत करेंगे. 17 सितंबर को पीएम मोदी का जन्मदिन भी है.
पीएम मोदी मंगलवार सुबह 6 से 7 बजे के बीच अपनी मां हीरा बेन से मुलाकात करेंगे. 8 बजे वे केवड़िया पहुंचेंगे और नर्मदा बांध का जायजा लेंगे. इसके बाद 9.30 बजे पीएम मोदी का नर्मदा पूजन का कार्यक्रम है. प्रधानमंत्री 11 बजे एक जनसभा को भी संबोधित करेंगे.
पहली बार भरा बांध
यूं तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बांध परियोजना का उद्घाटन 17 सितंबर 2017 को ही कर दिया था, लेकिन बारिश कम होने की वजह से जलस्तर काफी नीचे रह गया था. लेकिन इस बार मध्य प्रदेश में भारी बारिश होने के चलते नर्मदा नदी में आए उफान ने इस बांध को इसकी क्षमता तक जलमग्न कर दिया है. अब सरदार सरोवर बांध का जलस्तर 138.68 मीटर तक पहुंच गया है.
बांध बनकर पूरा होने के बाद इसका उद्घाटन भी प्रधानमंत्री ने अपने जन्मदिन के मौके पर करके देश को तोहफा दिया था. सरदार सरोवर बांध भारत का सबसे बड़ा और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बांध है. इस बांध से परियोजना से गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान चार राज्यों को बिजली और पीने का पानी मुहैया कराया जाएगा.
गुजरात की लाइफलाइन
सरदार सरोवर बांध को गुजरात की लाइफ लाइन के तौर पर भी जाना जाता है, क्योंकि सरदार सरोवर का पानी गुजरात के आखिरी गांव कच्छ तक नहर के जरिये पहुंचाया जाता है. सरदार सरोवर से गुजरात के 131 शहरों और 9633 गांवों में नहर के जरिये पानी पहुंचाया जाता है.
इसके लिए 457 नहरों का 75000 किलोमीटर का नेटवर्क पूरे गुजरात में फैला हुआ है. बांध के पूरी तरह भरने के बाद 18 लाख हेक्टेयर जमीन की सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध हो पाएगा. आने वाले दो सालों में गुजरात को सरदार सरोवर के जरिये पीने के पानी की सप्लाई भी होने लगेगी.
सरदार सरोवर परियोजना के एमडी डॉ. राजीव गुप्ता ने बताया कि यह पहली बार है जब सरदार सरोवर में पानी अपनी सर्वाधिक क्षमता के ऐतिहासिक स्तर पर पहुंचा है. अब इस बांध में 24 घंटे बिजली पैदा की जा रही है. फिलहाल इस बांध से 1450 मेगा वोट बिजली का उत्पादन हो रहा है.
सरदार सरोवर बांध में 6 लाख क्यूसेक पानी मध्य प्रदेश के ओमकारेश्वर और इंदिरासागर जलाशयों से आ रहा है. मध्य प्रदेश में हुई भारी बरिश के चलते नर्मदा नदी उफान पर है. नर्मदा, भरूच ओर वडोदरा के 100 से ज्यादा गांवों को अलर्ट किया गया है.
देश के पहले पीएम ने रखी थी नींव
देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 5 अप्रैल 1961 को सरदार सरोवर परियोजना की नींव रखी थी. इस परियोजना के पूरा होने के लिए 56 सालों का लंबा इंतजार करना पड़ा. यह देश की ऐसी परियोजना है जो सबसे लंबे समय तक चली और 1961 में शुरू होकर 2017 में पूरी हुई.
नर्मदा नदी पर कुल 30 छोटे बड़े बांधों का निर्माण किया गया है. सरदार सरोवर उनमें से एक है. सरदार सरोवर परियोजना शुरू होने के बाद इसके निर्माण के साथ साथ इसके खिलाफ निरंतर संघर्ष भी चलता रहा. एक बड़ी आबादी जो इस बांध से प्रभावित होकर विस्थापित हो रही थी, वह विरोध पर उतर आई. तमाम आशंकाओं, विरोधों के चलते कभी सरकार ने कदम पीछे खींचा तो कभी अदालती हस्तक्षेप हुए. इसके चलते इसका काम बार बार अटकता रहा.
मध्य प्रदेश के 190 से अधिक गांव डूबे
नर्मदा नदी मुख्यत मध्य प्रदेश में बहती है. नर्मदा का बहाव क्षेत्र 1312 किलोमीटर मध्य प्रदेश में और मात्र 160 किलोमीटर गुजरात में है. नदी के कुल जलग्रहण क्षेत्र का लगभग 85 फीसदी मध्य प्रदेश में हैं. इसलिए सरदार सरोवर बांध बनने का सबसे ज्यादा खामियाजा भी मध्य प्रदेश को ही भुगतना पड़ेगा.
नर्मदा घाटी स्थित धार, बड़वानी, सहित अन्य जिलों के 190 से अधिक गांव पानी में डूूब गये हैं. चूंकि मध्य प्रदेश को इस बांध से नुकसान ज्यादा था, इसलिए बिजली उत्पादन में मध्य प्रदेश को ज्यादा लाभ दिया गया है. कुल बिजली उत्पादन में से मध्य प्रदेश को 57 फीसदी, महाराष्ट्र को 27 फीसदी और गुजरात को 18 फीसदी बिजली मिलती है.
सरदार सरोवर की अड़चनें
दिसंबर 1993 में केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्रालय ने कहा कि सरदार सरोवर परियोजना ने पर्यावरण संबंधी नियमों का पालन नहीं किया है. इसके बाद जनवरी 1994 में जनता के भारी विरोध को देखते हुए परियोजना का काम रोका गया. 1994 में ही विश्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि सरदार सरोवर परियोजना में पुनर्वास का काम ठीक से नहीं हो रहा है.
नवंबर 1995 में सुप्रीम कोर्ट ने सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई बढ़ाने की अनुमति दी जिसके बाद इसे 110.64 मीटर तक किया गया. गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए नरेंद्र मोदी ने इसकी ऊंचाई और बढ़ाने की मांग की. 2006 में बतौर मुख्यमंत्री मोदी ने अपनी यह मांग मनवाने के लिए तीन दिन का उपवास किया. इसके बाद बांध की ऊंचाई बढ़ाकर 121.92 मीटर कर दी गई. बाद में इसकी ऊंचाई और बढ़ाकर 138.68 मीटर तक कर दी गई. 2017 में बांध पूरी तरह बन कर तैयार हो गया.
(Disclaimer: This article is not written By IndiaFirst, Above article copied from AajTak)

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