9 महीनों से लगातार दिल्ली की सीमा पर किसानों के चल रहे धरने पर आज सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। सीधे शब्दो में बोला जाये तो कोर्ट ने किसानों की फटकार लगाते हुए बोला कि आपने दिल्ली का गला घोंट रखा है। आइए समझते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने क्यों गला घोंटने की बात की है?
पहले जानिए, सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा
जंतर-मंतर पर किसानों के सत्याग्रह की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने आज कुछ ऐसा कहा, जिससे दिल्ली-NCR में रहने वाले हजारों लोगों की तकलीफें उभरकर सामने आ गईं। कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा, ‘आपने पूरे शहर का गला घोंट दिया है, अब आप अंदर आना चाहते हो?’ दरअसल, बॉर्डर पर नाकेबंदी और विरोध प्रदर्शन के चलते नोएडा, गाजियाबाद के लोगों को दिल्ली जाने में काफी परेशानी हो रही है। न्यायमूर्ति एएम खानविलकर ने कहा कि सत्याग्रह करने की क्या बात है? आपने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। कोर्ट पर भरोसा रखें। एक बार जब आपने अदालत का दरवाजा खटखटाया, तो विरोध का क्या मतलब है? क्या आप न्यायिक व्यवस्था का विरोध कर रहे हैं? व्यवस्था में विश्वास रखें। न्यायमूर्ति खानविलकर ने किसान समूह ‘किसान महापंचायत’ से मौखिक रूप से यह सवाल किया, जिसने सत्याग्रह की अनुमति के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया है। बाद में किसान महापंचायत ने कोर्ट से कहा कि हमने सड़क ब्लॉक नहीं की है। इस पर SC ने दो टूक कहा कि आप हलफनामा दायर करें कि आपने सड़क ब्लॉक नहीं की है।
हर रोज जाम से झूझते हजारों लोग
किसान आंदोलन के चलते पिछले कई महीनो से लगातार दिल्ली से एनसीआर आना के लिये हजारो लोग जाम से झूझते है। आलम ये है कि कुछ किलोमीटर की दूरी घंटो भर में पूरी होती है। दरअसल कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर किसान पिछले 9 महीने से धरने पर बैठे हैं। इससे लोगों को नोएडा और गाजियाबाद आने जाने में काफी दिक्कत हो रही है। आसपास की दुकानों के अलावा ऑटो ड्राइवरों को भी दिक्कत हो रही है। सुबह-शाम इतना ट्रैफिक हो जाता है कि अगर फंसे तो घंटे, दो घंटे बर्बाद समझिए। ऑटो ड्राइवरों का कहना है कि गाजीपुर बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन के चलते 4 किमी बेवजह घूमकर जाना पड़ता है, यही आलम टिकरी और सिंघु बॉर्डर में भी देखने को मिलता है। वहां भी निकलने के लिए लोगों को काफी लंबा जाम से गुजरना पड़ता है जिससे आम लोग बहुत ज्यादा परेशान होते है।
फिलहाल कोर्ट ने भी आज वही बोला जो हकीकत है लेकिन किसान आंदोलन में बैठकर सियासत करने वाले कुछ लोग अब कोर्ट पर भी सवालिया निशान उठायेंगे और ये बताने की कोशिश करेंगे कि कोर्ट किसानों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। क्योंकि उन्हे आम लोगों से तो कोई मतलब नहीं उन्हे तो बस अपनी किस्मत चमकाना है।