कहते हैं कि मेहनत रंग लाती है तभी तो कोशिश करने वालों की हार नहीं होती! अगर कोशिशों से थक चुके हैं तो एक बार 28 वर्षीय रंजीत रामचंद्रन की कहानी जान लीजिए। रंजीत, सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करते थे और एक झोपड़ी में रहते थे। लेकिन उनका सपना कुछ और था जिसे हासिल करके वह दूसरों को लिए एक मिसाल बन गए हैं। दरअसल, केरल के रंजीत अब एक प्रोफेसर हैं वो भी रांची आईआईएम के! वे कैसे यहां तक पहुंच पाये चलिये इसकी कहानी आपको हम बताते है
रात में करते काम, दिन में पढ़ाई
खुद रामचंद्रन ने अपनी कहानी को फेसबुक पर शेयर किया और बताया कि किस तरह से टूटी फूटी झोपड़ी और रात के वक्त बीएसएनएल टेलीफोन एक्सचेंज में नाइट वॉचमैन की नौकरी भी की। जिसके बाद उन्होने पढ़ाई की उन्होने बताया कि स्नातक की शिक्षा के दौरान उन्हे पता चला कि घर के लोग उनकी पढ़ाई का खर्च नही उठा पा रहे है। तब उन्होने पढ़ाई छोड़ने का मन बना लिया था हालाकि उसी वक्त नाइट वॉचमैन की नौकरी का विज्ञापन उन्होने देखा और वो नौकरी कर ली। इतना ही नही उन्होने शेयर किया कि पहले उन्हे 35 सौ रूपये मिलते थे लेकिन बाद में 8 हजार रूपये तक उनकी सैलरी हो गई थी। 5 साल तक उन्होने वहां समय काटा। खुद वो बताते है कि उनके पिता मनरेगा में मजदूरी करते है। तो मां भी कुछ घरो में काम करके घर का खर्चा चलाती है। लेकिन अब उनकी इच्छा है कि वो अपने माता पिता के लिए एक घर बनाकर दे। फिलहाल उनकी मेहनत और उनकी हिम्मत का ही नतीजा है कि आज वो इतनी ऊचाई तक पहुंचे है।
हम सब के लिये एक सबक
ऐसे में जो लोग हिम्मत हारकर या थककर पीछे हट जाते है उनके लिये रामचंद्रन एक प्रेरणा की मिसाल है जो ये बताता है कि मुश्किल वक्त जीवन में कितना भी आये लेकिन लेकिन कभी हार नहीं मानना चाहिये। सच और साहस के साथ सिर्फ अपनी मंजिल पर फोकस करना चाहिये। फिर मुश्किल कितनी भी आये लेकिन जीत आपकी ही होगी। इस लिये ऐसे लोगों से सबक लेकर हमें अपने जीवन से नकरात्मकता को हटा कर हमेशा सकरात्मक सोच रखनी चाहिये जिससे हमेशा जीत ही मिलती रहे।
क्योकि ये बात बिलकुल सत्य है कि सच्ची मेहनत जरूर रंग लाती है जैसे रामचंद्रन जी की लाई है।