श्रीलंका के नए राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे भारत के राजकीय दौरे पर आज शाम नई दिल्ली पहुंचे। वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निमंत्रण पर भारत आए हैं। केंद्रीय मंत्री वी के सिंह ने श्रीलंका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति की हवाईअड्डे पर अगवानी की।
अपना कार्यभार संभालने के बाद श्री राजपक्षे की यह पहली विदेश यात्रा है। अपनी तीन दिन की यात्रा के दौरान श्री राजपक्षे, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ आपसी सहयोग के क्षेत्रों के विस्तार और वर्तमान द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने पर विचार-विमर्श करेंगे। हालाँकि उन्होंने अपनी इस यात्रा के जरिये दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को प्रगाढ़ करने के अपने इरादे जाहिर कर दिये हैं।
दोनों नेताओं के बीच बातचीत के दौरान श्रीलंका में तमिल समुदाय की आकांक्षाओं को पूरा करना, हिंद महासागर क्षेत्र में स्थिति और कारोबार एवं निवेश संबंधों को मजबूत करने के लिये कदम उठाये जाने जैसे कई मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है।
बता दे कि भारत, श्रीलंका में पेट्रोल पंप, सूचना प्रौद्योगिकी, वित्तीवय सेवाएं, रीयल एस्टेट, संचार, होटल और पर्यटन जैसे क्षेत्रों में लगभग एक अरब 24 करोड़ डॉलर का निवेश कर द्वीप देश के लिए एक बड़े निवेशक के रूप में उभरा है।
अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए रवाना होने से पहले राजपक्षे ने ट्वीट कर कहा कि वह भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिये आशान्वित हैं। उन्होंने कहा, ‘‘अपनी पहली विदेश यात्रा के तहत भारत रवाना हो रहा हूं और नरेंद्र मोदी एवं भारत सरकार के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए आशान्वित हूं।’’
Leaving for my first state visit to India and looking forward to strengthening bilateral relations with Shri @narendramodi and Govt of India pic.twitter.com/Td6MbO4PdL
— Gotabaya Rajapaksa (@GotabayaR) November 28, 2019
श्रीलंका के राष्ट्रपति का कल सुबह राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में परंपरागत तरीके से स्वागत किया जाएगा।वहां राजपक्षे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात करेंगे।
गौरतलब है कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने राजपक्षे को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बधाई संदेश देने के लिए पिछले सप्ताह विशेष दूत के तौर पर कोलंबो की यात्रा की थी।
70 वर्षीय राजपक्षे ने 17 नवंबर को आए राष्ट्रपति पद के चुनाव के नतीजों में शानदार जीत दर्ज की थी। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी सजित प्रेमदास को 13 लाख से ज्यादा मतों के अंतर से शिकस्त दी थी। राजपक्षे को लिट्टे के खिलाफ लंबे गृह युद्ध को खत्म करने में मदद करने का श्रेय दिया जाता है। वह देश के सातवें राष्ट्रपति हैं।

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