[ ली सेन लूंग ]: आज से चार वर्ष पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 तक ‘स्वच्छ भारत’ की अपनी परिकल्पना को साकार करने के लिए स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की थी। यह भी संयोग है कि आज हम सभी महात्मा गांधी की 150वीं जयंती से जुड़े कार्यक्रमों की शुरुआत कर रहे हैं। इसके तहत स्वच्छता को राष्ट्रीय प्राथमिकता की संज्ञा दी गई है। पिछले चार वर्षों में भारत ने आठ करोड़ 60 लाख घरों में शौचालयों का निर्माण कर और करीब पांच लाख गांवों (चार लाख सत्तर हजार गांव) को खुले में शौच से मुक्त घोषित कर इस दिशा में काफी प्रगति की है।
सिंगापुर भी इस रास्ते पर चल चुका है। स्वतंत्रता के बाद से ही हमने अपनी जनता के लिए एक स्वच्छ और हरित वातावरण के निर्माण के लिए कठोर परिश्रम किया है। शुरुआती दिनों में बहुत से घरों में मल-निकास की व्यवस्था नहीं थी। मल को बाल्टियों में एकत्रित किया जाता था और इसे ऐसे ट्रकों के जरिये मल-शोधन संयत्रों तक ले जाया जाता था, जो कि असहनीय दुर्गंध फैलाते थे। मानव मल को प्राय: पास की नहरों एवं नदियों में भी प्रवाहित कर दिया जाता था, जो कि जल को प्रदूषित तथा विषाक्त बनाता था। साफ-सफाई के अभाव वाली जीवन-स्थितियां सेहत संबंधी कई समस्याओं को जन्म देती थीं, जिसमें अशुद्ध पानी की वजह से हमेशा फैलने वाली बीमारियों का प्रकोप भी शामिल था।