बंगाल चुनाव के पहले चरण का मतदान हो चुका है जिसने पुराने सभी रिकार्ड पीछे छोड़ दिये है। करीब 84 फीसदी मतदान ये बता रहा है कि लोकतंत्र पर बंगाल में कितना भी हमला हुआ हो लेकिन लोगों का विश्वास अभी भी लोकतंत्र पर ही है। लेकिन इन सबके बीच बंगाल का साइलेंट वोटर इस तरफ है ये सवाल जरूर सभी दलो को परेशान करने में लगा हुआ है। क्योकि साइलेंट वोटर को समझना काफी कठिन होता है।
बंगाल में साइलेंट वोटर पर टिकी सबकी नजर
बंगाल में एक चरण के मतदान के बाद दूसरे चरण का मतदान 1 अप्रैल को होने वाला है लेकिन पहले चरण में जिस तरह से मतदान हुआ है उसके बाद से सभी दलों में साइलेंट वोट को लेकर चंता बढ़ा दी है क्योकि कुछ चुनावी जानकार ये मानकर चल रहे है कि राज्य में हुआ भारी मतदान सत्ता में बदलाव का संकेत देता है लेकिन राज्य में साइलेंट वोटर का बहुत बड़ा तबका है जो चुनाव के बारे में बात नहीं कर रहा लेकिन वो बंगाल में खेला करने में जुटा हुआ है। ऐसे में अब सभी पार्टिया साइलेंट वोटरों का दिल टटोलने में जुट गये है कि आखिर वो इस तरफ वोट डाल रहा है। वैसे सियासी पंडितो की माने तो जिस तरह से बंगाल में चुनाव से पहले हिंसा हुई है और आये दिन खूनी संघर्ष देखा गया है उससे साफ लगता है कि इस बार बंगाल में साइलेंट वोटरो की संख्या काफी बड़ी है जो चुनाव का माहौल बिलकुल बदल सकती है।
पीएम मोदी के साथ अबतक रहा साइलेंट वोटर
वैसे साइलेंट वोटर को लेकर पीएम मोदी ने एक बार बड़ा खुलासा किया था। उन्होने साफ किया था कि जिन महिलाओं को आज फ्री में गैस मिल रही है वो उनके साइलेंट वोटर हैं, जिन्हे घर मिले है वो उनके वोटर है। चुनावी पंडितों की भी माने तो एक बड़ा वर्ग है जो वोट को लेकर शांत रहता है जो ज्यादातर पीएम मोदी के साथ ही खड़ा दिखाई देता है। तभी तो कई ओपोनियन पोल में बंगाल में चुनाव तेजी से बदल रहा है कुछ ऐसा ही यूपी और आम चुनाव 2019 में भी देखने को मिला था हाल में हुऐ बिहार चुनाव के नतीजो ने भी ये बता दिया कि देश में अब साइलेंट वोटरों की संख्या बढ़ गई है जिसे पढ़ना काफी कठिन काम है।
हां ये जरूर है कि इन सब के बीच चुनाव काफी रोचक हो गया है क्योकि अभी तक ये किसी को समझ में नही आ रहा कि ऊंट इस तरफ करवट बदलेगा।