देश की बेटियां हर फील्ड में आसमान छू रही हैं। सेना में लड़कियां कंधे से कंधा मिलाकर दुश्मन का सामना करने के लिए तैयार हो रही हैं। भारत की एक बेटी ने आसमान में अपनी क्षमता और काबिलियत को एक बार फिर साबित किया है। भारतीय वायु सेना की विंग कमांडर एस धामी ने देश की पहली महिला अधिकारी बन देश की हर बेटी का सिर फर्क से ऊंचा कर दिया है।
Indian Air Force’s Wing Commander S Dhami has become the first female officer in the country to become the Flight Commander of a flying unit. She took over as Flight Commander of a Chetak helicopter unit at Hindon air base. Flight Commander is the second in command of the unit. pic.twitter.com/JRTzYATGMP
— ANI (@ANI) August 27, 2019
भारतीय वायु सेना की विंग कमांडर शालिजा धामी ने उड़ान इकाई की उड़ान कमांडर के रूप में नियुक्त होने वाली पहली महिला अधिकारी बनकर इतिहास रचा है। उन्होंने हिंडन एयरबेस में चेतक हेलिकॉप्टर यूनिट के फ्लाइट कमांडर के रूप में पदभार संभाला।
बता दें कि फ्लाईट कमांडर का पद वायुसेना यूनिट में दूसरे स्थान पर आता है। फ्लाइट कमांडर यूनिट के कमांड में दूसरा स्थान है जिसका अर्थ है कि वह कमांडिंग ऑफिसर के बाद यूनिट में नंबर दो है। न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, शालिजा धामी भारतीय वायु सेना में फ्लाइंग ब्रांच की स्थायी कमीशन अधिकारी हैं ।
फ्लाइंग ब्रांच में उनका उत्थान महिला अधिकारियों के लिए एक और मील का पत्थर स्थापित किया जो भारतीय वायु सेना की संचालन इकाई की पहली महिला उड़ान कमांडर बनीं।
नौ साल के बच्चे की मां शालिजा पंजाब के लुधियाना में पली-बढ़ी हैं। वे बचपन से ही पायलट बनना चाहती थी। 15 साल के अपने करियर में वे चेतक और चीता हेलिकॉप्टर उड़ाती रही हैं। विंग कमांडर धामी चेतक और चीता हेलीकॉप्टरों के लिए भारतीय वायुसेना की पहली महिला योग्य फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर भी हैं।
2300 घंटे तक उड़ान का अनुभव रखने वाली शालिजा धामी वायुसेना की पहली महिला अधिकारी हैं जिन्हें लंबे कार्यकाल के लिए स्थाई कमीशन प्रदान किया गया है । आपको बता दें कि भारतीय वायुसेना में 1994 में पहली बार महिलाओं को शामिल किया गया। लेकिन तब उन्हें सिर्फ नॉन-कॉम्बैट रोल दिया गया था । एक लम्बी संघर्ष के बाद महिलाओं ने अब कॉम्बैट रोल्स हासिल किए हैं। वायुसेना प्रमुख एयर मार्शल बीएस धनोआ ने कहा था कि वायुसेना में महिलाओं के लिए स्थाई कमीशन दो बातों पर निर्भर करता है पहला- वैकेंसी की संख्या और दूसरा- मेरिट। महिलाओं के लिए स्थाई कमीशन लागू होने की वजह से महिला उम्मीदवार ज्यादा वक्त तक सेना में काम कर सकेंगी । स्थाई कमीशन से महिलाएं 20 साल तक काम कर सकेंगी और इसे बढ़ाया भी जा सकता है। बीएस धनोआ ने कहा, “अगर महिलाएं चाहती हैं तो वह स्थायी कमीशन के तहत काम कर सकती हैं। क्योंकि सेना में वह शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत काम करती हैं। शॉर्ट सर्विस कमीशन के अधिकारी जिनका ट्रैक रिपोर्ट अच्छा है , वही 10 साल की सर्विस के बाद स्थाई कमीशन के लिए योग्य होते हैं ।