तलवारबाजी हिंदुस्तान के वीरों और वीरंगनाओं की शौर्य गाथाओं का हिस्सा रही है, लेकिन खेल के रूप में इसे पहचान भवानी देवी ने दिया। वही भवानी देवी जिन्होंने भारतीय ओलिंपिक इतिहास में एक नए अध्याय का आगाज किया। टोक्यो ओलिंपिक के लिए फेंसिंग में क्वालीफाई करने वाली देश की पहली तलवारबाज बनी। दूसरे दौर में भले ही हार गई, लेकिन देश का दिल जीत लिया।
मोदी को देख आई पिता की याद
चेन्नई की रहने वाली भवानी देवी 27 साल की हैं। पीएम मोदी ने 16 अगस्त को टोक्यो ओलिंपिक के भारतीय दल को विशेष रूप से आमंत्रित किया था। इस दौरान भवानी ने पीएम मोदी से मुलाकात की। दो तस्वीर ट्वीट करते हुए अपने मन की बात सोशल मीडिया पर बयां की। भवानी ने अपने पिता को याद किया, ‘आप और क्या चाहेंगे? मैंने हाल ही में अपने पिता को खोया। अब माननीय प्रधानमंत्री के शब्द और आशीर्वाद ने मुझे उनकी याद दिला दी।
He said "qualifying in a new sport like fencing for the first time 🇮🇳 is not easy, you have introduced a new sport to the nation and made everyone of us Proud. Your achievements has Motivated entire Nation's Youth and Children to join the sport & you are like Jhansi ki Rani beta pic.twitter.com/5PfACCoIlc
— C A Bhavani Devi (@IamBhavaniDevi) August 17, 2021
पीएम ने कहा झांसी की रानी
‘भारत का झंडा पहली बार तलवारबाजी जैसे नए खेल में क्वालीफाई करना आसान नहीं है, आपने देश के लिए एक नया खेल पेश किया है और हम सभी को गौरवान्वित किया है। आपकी उपलब्धियों ने पूरे देश के युवाओं और बच्चों को खेल में शामिल होने के लिए प्रेरित किया है और तुम झांसी की रानी जैसी हो बेटा’। पीएम मोदी से हुई बातचीत को भवानी से इस अंदाज में ट्वीट किया। वैसे जब भवानी सिंह ने हार के बाद देश से मांफी मागने का ट्वीट आया था तब भी पीएम मोदी ने उनकी निराशा को दूर करने के लिये ट्वीट करके उनका उत्साह बढ़ाया था।
मां को बेचने पड़े थे गहने
भवानी का इस खेल में आना एक दिलचस्प किस्से का हिस्सा है। 11 साल की भवानी पढ़ाई से बचना चाहती थीं। उनकी कक्षा में सभी को अपनी पसंद के खेल चुनने थे, लेकिन तब उनका नंबर आया तो इस खेल में किसी ने अपना नाम नहीं लिखवाया था। 2004 से हुई शुरुआत के बाद इस खेल से लगाव धीरे धीरे बढ़ता रहा। मध्यम वर्ग परिवार से ताल्लुक रखने वाली आठ बार की राष्ट्रीय चैंपियन भवानी ने इस खेल के खर्चे को देखते हुए एक बार इसे छोड़ने का भी मन बना लिया था क्योंकि इसके लिए पहने जाने वाला विशेष तरह का सूट ही काफी महंगा होता है और उनकी माँ को उनके लिए अपने गहने तक बेचने पड़ गए थे।
देश के प्रधान जिस तरह से देश के लोगों का जोश बढाते हैं ये भवानी सिंह के बयान से आप समझ गये होंगे। फिलहाल हल्के फुल्के माहौल में हुई खिलाडियों से ये मुलाकात हो या फिर पैराओलंपिक में जाने वाली टीम सभी का ना केवल पीएम जोश बढ़ाते हैं बल्कि ये डर भी निकालते हैं कि बिना दबाब के वो खेलें और देश का नाम रौशन करें।