पीएम मोदी की सादगी पर उनके विरोधी कितना भी सवाल खड़ा करे लेकिन देश की जनता अच्छी तरह जानती है कि वो पीएम होते हुए भी एक आम इंसान की तरह ही देश के नागरिकों के बीच रहते है। इसकी एक बानगी आज फिर दिखी जब पीएम मोदी ने संत रविदास जयंती पर दिल्ली के रविदास मंदिर में जाकर उनकी पूजा की और वहां हो रहे कीर्तन में हिस्सा लिया।
संत रविदास के भक्त के रूप में पीएम मोदी
पीएम मोदी का एक नया रूप आज देखने को मिला जब उन्होने रविदास मंदिर में पहुंचकर पहले संत रविदास जी की पूजा अर्जना करी और वहां प्रसाद खाया और वहां हो रहे कीर्तन में भाग लिया। पीएम ने इस दौरान महिलाओं के साथ बैठकर झांझा बजाया । झांझा बजाते वक्त वो भजन की गहराई में खोते दिख रहे थे। वैसे ये पहला मौका नही है इससे पहले भी वो कई बार कई मंदिरों में दर्शन करने के बाद कीर्तन में हिस्सा लेते हुए दिखाई दिये है जो ये बताता है कि पीएम मोदी भारतीय संस्कृति से किस कदर जुड़े हुए है और हर वक्त उसे आगे बढ़ाने के लिए काम करते रहते है।
संत रविदास मंदिर, पीएम मोदी और कीर्तन: दिल छू लेने वाला पल #संत_रविदास_जयंती #RavidasJayanti pic.twitter.com/UWz2fTjWnH
— India First (@OurIndiaFirst19) February 16, 2022
हम सबके लिए प्रेरणादायी हैं संत रविदास पीएम मोदी
इससे पहले पीएम मोदी ने ट्विटर पर संत रविदास की पूजा करते हुए कई तस्वीरें पोस्ट की थी। पीएम मोदी ने लिखा था, ”महान संत गुरु रविदास जी की जन्म-जयंती है। उन्होंने जिस प्रकार से अपना जीवन समाज से जात-पात और छुआछूत जैसी कुप्रथाओं को समाप्त करने के लिए समर्पित कर दिया, वो आज भी हम सबके लिए प्रेरणादायी है। इस अवसर पर मुझे संत रविदास जी की पवित्र स्थली को लेकर कुछ बातें याद आ रही हैं। साल 2016 और 2019 में मुझे यहां मत्था टेकने और लंगर छकने का सौभाग्य मिला था। एक सांसद होने के नाते मैंने ये तय कर लिया था कि इस तीर्थस्थल के विकास कार्यों में कोई कमी नहीं होने दी जाएगी।’
सन् 1377 ईस्वी में उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर के गोबर्धनपुर गांव में जन्में कवि संत रविदास ने भेदभाव से ऊपर उठकर समाज के कल्याण की सीख दी। संत रविदास के रचनाओं में भगवान के प्रति प्रेम की झलक साफ दिखाई देती है। उन्होंने रविदास समाज की कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाई थी। उन्होंने कहा था कि कोई व्यक्ति जन्म के आधार पर श्रेष्ठ नहीं होता, बल्कि वह अपने कर्मों से पूज्यनीय होता है। आज मोदी सरकार इनकी प्रेरणा के चलते ही सबका साथ सबका विश्व फार्मूले में सरकार चला रही है। जिसके चलते ही देश के हर वर्ग में एक समान सुविधाओं का फायदा मिल रहा है।