भारतीय संस्कृति ने एक बार फिर से समूचे विश्व में ये बता दिया कि आस्था से बड़ा मानवता की रक्षा है और सबसे बड़े धर्म मानव की जान बचाना है। इसी बाबत कोरोना के चलते हरिद्वारा में चल रहे महाकुंभ को समय से पहले ही निरंजनी और आनंद अखाड़े ने की कुंभ समाप्ति की घोषणा कर दी है।
आस्था पर भारी पड़ी मानवता
जिस तरह से कोरोना देश के कई राज्यों में प्रकोप बन कर टूट पड़ा है। ऐसे में इससे बचने का बस एक ही उपाय है और वो है सामाजिक दूरी बनाकर रखना, मास्क लगाना और वैक्सीन लगाना ये तीनो चीजे वहां नहीं हो सकती है जहां पर कोई समारोह चल रहा हो बस इसी बात को ध्यान में रखकर निरंजनी और आनंद अखाड़े ने कुंभ पहले समाप्त करने की घोषणा कर दी है। महंत रवींद्र पुरी ने दावा किया कि अन्य अखाड़े भी उनके अखाड़े की राय से सहमत हैं। महंत रवींद्र पुरी के मुताबिक 27 अप्रैल को महा कुंभ का शाही स्नान बचा है जो इस महाकुंभ का अंतिम शाही स्नान होगा। लेकिन इसके लिए ज्यादातर संत इस बात पर सहमत हैं कि 27 अप्रैल को वह केवल सांकेतिक स्नान ही करेंगे जिससे महाकुंभ स्नान की सनातन परंपरा जारी रहेगी। इसके साथ ही रविंद्रपुरी ने बताया कि अखाड़ों की छावनी में मौजूद सभी संतो से कह दिया गया है कि जल्द से जल्द वह अपने मठ मंदिरों मैं लौट जाएं और अखाड़ों को खाली कर दें ताकि कोरोना संक्रमण का खतरा कम हो।
अखाड़े के फैसला बना एक बड़ा उदाहरण
सांधु संतो की इस घोषणा की खूब जमकर तारीफ हो रही है और ये घोषणा एक नाजीर बन रही है खासकर उनके लिये जो कोरोना के बढ़ते प्रभाव में भी बिना किसी नियम का पालन किये बाहर निकल रहे है। हालाकि अगर ऑकड़ो तो कोरोना की स्पीड इसके चलते महज 0.24 फीसदी है लेकिन इसके वाबजूद ये फैसला लिया गया है जबकि कुछ लोगों को जब सामाजिक दूरी बनाकर रखने के लिये अपील की जाती है तो वो विवादित बयान देकर देश का माहौल खराब करने की कोशिश करते है और कुछ विपक्ष के दल उनके सुर में सुर मिलाकर नेतागिरी चमकाने में लग जाते है। जो पूरी तरह से गलत है और अब देशवासियों को ऐसे लोगो को समझ लेना चाहिये कि ये केवल नफरत की राजनीति करके देश को बर्बाद करने में लगे रहते है। इसका ताजा उदाहरण हरिद्वार की कुछ फेक तस्वीरे भी है जिसमें दिखाया जा रहा है कि कुंभ के चलते लाखों लोग इकट्ठा है जबकि कल से ही कुंभ के आस पास के इलाके और हरिद्वारा में लोगो की भीड़ कम हो गई है।
वैसे भी भारतीय संस्कृति में सबसे बड़ा धर्म मानव और समाज की रक्षा करना है और ये संस्कार युगों से एक दूसरे को हस्तानंतरण करके हम भारतीय विश्व और देश की रक्षा करते चले आ रहे है और आगे भी करते रहेंगे।