केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अपने कर्मचारियों के लिए नयी सोशल मीडिया और इन्टरनेट पॉलिसी जारी की है| पॉलिसी के अंतर्गत अब कोई भी कर्मचारी या आधिकारी बिना पूर्व अनुमति के मंत्रालय द्वारा निर्गत किसी भी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जैसे की कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल और टेबलेट पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का उपयोग नहीं कर पाएंगे|
साइबर क्राइम और डाटा सिक्यूरिटी को लेकर उठाया गया ये कदम
सूत्रों के मुताबिक गृह मंत्रालय ने साइबर क्राइम से जुड़े खतरों तथा गृह मंत्रालय से सम्बंधित डाटा की सिक्यूरिटी के लिए ये कदम उठाया है| गृह मंत्रालय द्वारा जारी नोट में साफ़ साफ़ कहा गया है, “सभी कर्मचारी जिनमें कॉन्ट्रेक्ट कर्मी, कंसल्टेंट, पार्टनर, थर्ड पार्टी स्टाफ, जो इंफोर्मेशन सिस्टम को ऑपरेट और सपोर्ट करते हैं, कम्यूनिकेशन नेटवर्क से जुड़े हैं, किसी भी आधिकारिक सूचना को सोशल मीडिया और सोशल नेटवर्किंग साइट पर सार्वजनिक नहीं करेंगे। जब तक उन्हें सरकार की तरफ से ऐसा करने के लिए नहीं कहा जाता है।“
वैसे अधिकारी या कर्मचारी जिन्हें अपने कार्यों के निष्पादन के लिए सोशल मीडिया की जरुरत है, उन्हें पहले से इसकी पूर्व अनुमति लेनी होगी|
गूगल ड्राइव और ड्रॉपबॉक्स इत्यादी पर डाटा सेव करने पर भी रोक
गृह मंत्रालय के नोट में मंत्रालय से जुड़े किसी भी डॉक्यूमेंट को किसी तरह के क्लाउड स्पेस प्रोवाइडर प्लेटफॉर्म्स जैसे गूगल ड्राइव, ड्रॉपबॉक्स या आई-क्लाउड पर भी सेव करने की मनाही की गयी है| गोपनीय दस्तावेजों की सुरक्षा और डाटा चोरी रोकने के लिए ऐसे निर्देश जारी किये गए हैं|
गृह मंत्रालय के साइबर एंड इनफार्मेशन डिवीज़न के अधिकारी के अनुसार, “सरकारी वेबसाइट को हैक करने अथवा भारत सरकार के संवेदनशील डाटा की चोरी के लिए हर रोज औसतन 30 प्रयास किये जाते हैं| ये प्रयास विदेशी हैकर या संगठनो द्वारा किया जाता है|”
भारत सरकार और उसका महकमा पूरी तरह से सरकारी तंत्र के कार्य करने के तरीके को बदलने में जुटा है| एक और जहाँ कार्यों के त्वरित निष्पादन को प्राथमिकता दी जा रही है वहीँ दूसरी तरफ अधिकारियों और कर्मचारियों की कार्य कुशलता और कार्यक्षमता को बढ़ाने के लिए बहुराष्ट्रीय कंपनियों जैसी तकनीक का भी सहारा लिया जा रहा है|