प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम को लेकर हो रहे हिंसक प्रदर्शन अत्यन्त दुर्भाग्यपूर्ण और दुखद है। सोमवार को प्रधानमंत्री मोदी ने एक के बाद एक पांच ट्वीट करते हुए नागरिकता कानून के खिलाफ हुए प्रदर्शनों पर प्रतिक्रिया दी। अपने कई ट्वीट में उन्होंने कहा कि विचार विमर्श और मतभेद लोकतंत्र का आवश्यक हिस्सा है लेकिन सार्वजनिक सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाना और सामान्य जनजीवन में व्यावधान लाना कभी इसका हिस्सा नहीं रहे। प्रधानमंत्री ने कहा कि समय की मांग है कि हम सभी मिलकर देश के विकास के लिए काम करें और विशेषकर गरीबों और वंचितों को सशक्त बनाने के लिए अपना योगदान करें।
Violent protests on the Citizenship Amendment Act are unfortunate and deeply distressing.
Debate, discussion and dissent are essential parts of democracy but, never has damage to public property and disturbance of normal life been a part of our ethos.
— Narendra Modi (@narendramodi) December 16, 2019
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि कुछ निहित स्वाऔर्थी तत्वब लोगों को बांटने और गड़बड़ी पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं जबकि समय की जरूरत लोगों को एकजुट कर देश के विकास और देशवासियों को सशक्तै बनाने की दिशा में काम करने की है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून, 2019 संसद के दोनों सदनों द्वारा भारी समर्थन के साथ पारित किया गया। बड़ी संख्या में राजनीतिक दलों और सांसदों ने इसके पारित होने का समर्थन किया। यह कानून भारत की सदियों पुरानी संस्कृति की स्वीकृति, सद्भाव, करुणा और भाईचारे को दर्शाता है।
The Citizenship Amendment Act, 2019 was passed by both Houses of Parliament with overwhelming support. Large number of political parties and MPs supported its passage. This Act illustrates India’s centuries old culture of acceptance, harmony, compassion and brotherhood.
— Narendra Modi (@narendramodi) December 16, 2019
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लिखा, “मैं बेहद स्पष्ट रूप से सभी भारतीयों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि CAA से किसी भी धर्म को मानने वाला भारत का कोई भी नागरिक प्रभावित नहीं होगा… इस कानून को लेकर किसी भी भारतीय को चिंता करने की कोई ज़रूरत नहीं है… “यह कानून सिर्फ उनके लिए हैं, जिन्होंने बरसों तक बाहर अत्याचार बर्दाश्त किया है, और जिनके पास जाने के लिए भारत के अलावा कोई जगह नहीं है…”
I want to unequivocally assure my fellow Indians that CAA does not affect any citizen of India of any religion. No Indian has anything to worry regarding this Act. This Act is only for those who have faced years of persecution outside and have no other place to go except India.
— Narendra Modi (@narendramodi) December 16, 2019
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह शांति, एकता और भाईचारा बनाए रखने का समय है। सभी से अपील है कि किसी भी तरह की अफवाह और झूठ से दूर रहें।
This is the time to maintain peace, unity and brotherhood. It is my appeal to everyone to stay away from any sort of rumour mongering and falsehoods.
— Narendra Modi (@narendramodi) December 16, 2019
क्या है नागरिकता कानून?
नए नागरिकता कानून के अनुसार, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक अत्याचार का सामना कर रहे हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के जो लोग 31 दिसंबर, 2014 तक भारत आए थे, उन्हें भारतीय नागरिकता दे दी जाएगी।
इसके बाद आने वाले इन धर्मों के लोगों को छह साल भारत में रहने के बाद नागरिकता दे दी जाएगी। पहले सबकी तरह उन्हें 11 साल भारत में रहना अनिवार्य था।
कहां-कहां हो रहे विरोध प्रदर्शन?
नागरिकता कानून के खिलाफ यूं तो देशभर में प्रदर्शन हो रहे हैं, लेकिन मुख्यतौर पर पूर्वोत्तर के राज्यों, दिल्ली और पश्चिम बंगाल में इन प्रदर्शनों की तीव्रता सबसे अधिक है। असम में प्रदर्शन शुरू में हिंसक रहे थे, लेकिन अब पूरी तरह से शांतिपूर्ण हो चुके हैं और पूरे राज्य के लोग सड़कों पर हैं।
वहीं बंगाल में प्रदर्शन के दौरान हिंसा के कुछ मामले सामने आए हैं जिसके बाद पांच जिलों में इंटरनेट बंद कर दिया गया है। दिल्ली में भी इस कानून के खिलाफ जबरदस्त प्रदर्शन हो रहे हैं जिनमें जामिया मिलिया इस्लामिया और अन्य विश्वविद्यालयों के छात्र अग्रिम मोर्चे पर हैं।साथ ही साथ ये लोग सार्वजनिक हित को भी बहुत नुकसान पंहुचा रहे है ।
आइये आपको दिखाते है देश के दो अलग अलग यूनिवर्सिटी का विरोध करने का अलग अलग अंदाज, इसको देख के आप खुद अंदाज़ा लगा सकते है किसका विरोध का तरीका शांतिपूर्ण है।

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