अपने देश में लकड़ी, कंडी और राठ की मदद से खाना बनाने की परम्परा बहुत पुरानी है, जो अभी भी बहुत से घरों में प्रयोग में लायी जाती है| लेकिन इस प्रक्रिया की सबसे बड़ी परेशानी है, इससे निकलने वाला धुआं जो महिलाओ तथा रसोई में या आस-पास रहने वाले परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य लिए बेहद हानिकारक साबित होता है| इसकी वजह से उन्हें कई तरह की खतरनाक बिमारियों से जूझना पड़ता है|
इस गंभीर समस्या से निजात पाने हेतु 1 मई 2016 को PM मोदी ने उज्ज्वला योजना की शुरुआत की थी, जिसके तहत गरीब परिवारों को मुफ्त में गैस कनेक्शन की सुविधा दी गयी थी| बीते तीन सालों में अब तक छह करोड़ से भी ज़्यादा महिलाओं को गैस कनेक्शन दिया जा चुका है|
प्रयागराज के मोतीलाल नेहरु मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर तारिक महमूद द्वारा अमेरिका के टेक्सास में पेश किये गए रिसर्च में एक हैरान करने वाली अच्छी खबर सामने आई है| रिसर्च के अनुसार उज्ज्वला योजना की वजह से पिछले दो सालों में ग्रामीण इलाकों की गरीब महिलाओं की बीमारी दर में दस फीसदी की बड़ी गिरावट आई है जिनमे सबसे ज्यादा गिरावट फेफड़े और सांस से जुडी टीबी, दमा व अन्य दूसरी बीमारियों में हुआ है|
प्रोफेसर तारिक महमूद के मुताबिक महिलाओ में बिमारियों की गिरावट की सबसे बड़ी वजह है उनका कंडी और राठ के धुएं से निजात मिलना और ये संभव हुआ है PM मोदी की उज्ज्वला योजना के चलते| प्रोफेसर तारिक कहते है कि, “उज्ज्वला योजना से गैस कनेक्शन पा चुकी महिलाओं को न सिर्फ सहूलियत मिल रही है, बल्कि उनके समय की भी काफी बचत हो रही है, और सबसे मुख्य बात महिलाओं में फेफड़े व सांस की बीमारियां भी तेजी से कम हो रही हैं|”
डॉ तारिक ने अपने रिसर्च के पहले चरण में चार सौ महिलाओं पर शोध किया जिनके नतीजे उन्होंने अमेरिका की एक पत्रिका द्वारा सबके सामने रखा| उनके रिसर्च का दूसरा चरण ग्रामीण इलाके की गरीब व औसत आय वाली पांच हजार महिलाओं पर चल रहा है|
अगर अपने शुरूआती तीन साल में इस योजना ने महिलाओं को धुएं से होने वाली बिमारियों में 10 फीसदी की कमी की तो आने वालों सालों में ये आंकड़ा 50 फीसदी तक भी पहुँच सकता है| PM मोदी की उज्ज्वला योजना ग्रामीण महिलाओ के लिए रामबाण का काम कर रही है| ऐसे में सरकार को इस बात पर सबसे अधिक ध्यान देना होगा की उज्ज्वला योजना का लाभ ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को मिल सके|

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