दुनिया की 5 बड़ी शक्तियां ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के संगठन ब्रिक्स ने अफगानिस्तान के हालात को लेकर चिंता जताई है और इस देश को आतंकवाद की पनाहगाह बनने से रोकने की अपील की है। इस बार ब्रिक्स संगठन की बैठक की अध्यक्षता भारत ने की। जिसके चलते पहले बोलते हुए पीएम मोदी ने बोला कि ब्रिक्स संगठन ने मिलकर बहुत बेहतर काम किये हैं। ब्रिक्स देशों ने आतंकवाद के खिलाफ एक कार्य योजना को स्वीकृति दे दी है। इस कार्य योजना का प्रस्ताव भारत की तरफ से ही किया गया था।
आतंकवाद के खिलाफ कार्ययोजना को ब्रिक्स की मंजूरी
अगले 15 वर्षों के दौरान ब्रिक्स को और मजबूत बनाने का लक्ष्य होना चाहिए। इस तरह से भारत ने स्पष्ट कर दिया कि पिछले तीन वर्षों में अमेरिका के नेतृत्व में क्वाड का अहम सदस्य बनने के बावजूद वह ब्रिक्स को लेकर प्रतिबद्ध है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर बोलसेनारो और दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति साइरल रामाफोसा की तरफ से भी ब्रिक्स को मजबूत बनाने की प्रतिबद्धता जताई गई।
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में पड़ोसी देश के हालात पर गहन चर्चा
बैठक में पुतिन और जिनपिंग ने अपने भाषण में अफगानिस्तान के हालात का सीधे तौर पर जिक्र किया, लेकिन सभी देशों के तरफ से बाद में बताया गया कि आंतरिक चर्चा में अफगानिस्तान एक बड़ा मुद्दा रहा। बाद में जारी घोषणा पत्र में अफगानिस्तान में सत्ता हासिल करने वाले तालिबान से परोक्ष तौर पर उम्मीद जताई गई है कि वहां दूसरे देशों में आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देने से वाले संगठनों को पनपने नहीं दिया जाएगा। इस तरह रूस, चीन और भारत ने खास तौर पर अपनी चिंताओं को सामने रखा।
अफगानिस्तान को नहीं बनने देंगे नशा उत्पादों के कारोबार का केंद्र
अफगानिस्तान की स्थिति पर चिंता जताते हुए घोषणा पत्र में सभी पक्षों से कहा गया है कि वे शीघ्रता से हिंसा का रास्ता छोड़कर हालात का समाधान शांतिपूर्ण तरीके से निकालने की कोशिश करें। वहां स्थायित्व के लिए अफगानिस्तान के सभी पक्षों के बीच बातचीत को बढ़ावा देने के साथ ही हाल में हामिद करजई हवाई अड्डे पर हुए आतंकी हमले की निंदा की गई है। उम्मीद जताई गई है कि अफगानिस्तान में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को प्राथमिकता दी जाएगी। साथ ही अफगानिस्तान को नशा उत्पादों के कारोबार का केंद्र नहीं बनने दिया जाएगा। वहां अफगानी महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों की रक्षा के लिए कदम उठाए जाएंगे।
इसके अलावा कृषि सेक्टर में एक दूसरे की मदद करने की बात कही गई तो कोरोना से भी मिलकर लड़ने और कोरोना के जन्म के कारण का पता लगाने की बात पर भी हामी भरी गई। जिसको देखकर ये साफ तौर पर कहा जा सकता है कि इस बार ब्रिक्स संगठन देशों की बैठक में भारत चीन पर भारी पड़ा है और उसने आतंकवाद के खिलाफ एक सामूहिक माहौल भी इस बैठक में बनाया है जिसका दूरगामी परिणाम देखने को मिल सकता है।