केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद से ही स्वास्थ्य महकमे में कई क्रांतिकारी कदम उठाए जा रहे हैं। मोदी सरकार का लक्ष्य है कि अगर स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारना है तो दिल्ली एम्स जैसी संस्थाओं को और बेहतरीन मेडिकल सुविधा दिया जाए और इसका विस्तार पूरे देश में हो। दो पूर्व प्रधानमंत्रियों ने भी देश के अलग-अलग राज्यों में नए एम्स खोलने का ऐलान किया था, लेकिन यह ऐलान सिर्फ ऐलान ही बन कर ही दशकों तक धूल फांकता रहा। लेकिन, साल 2014 में पीएम मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने एक बार फिर से इस पर काम करना शुरू किया जो कई जगह पूरा हो चुका है तो कई जगह पूरा होने वाला है।
पीएम मोदी के कार्यकाल में इतने एम्स शुरू हुए
मोदी सरकार की तरफ से भी एम्स को व्यापक बनाने को लेकर बड़ी-बड़ी घोषणाएं की गई है। मोदी सरकार का मिशन है कि हर राज्य में एक एम्स होना चाहिए। केंद्र सरकार का दावा है कि कोरोना काल में जो गति धीमी हो गई तो उसको अब फुल स्पीड से एक बार फिर से शुरू कर दिया गया है। बहुत जल्द ही देश को कई नए एम्स मिलेंगे।बता दें कि कोरोना काल में तो कुछ राज्यों में एम्स ने काम करना भी शुरू कर दिया है। कई एम्स में तो ओपीडी सेवा बहाल भी हो चुकी है। नागपुर, कल्याणी, मंगलागिरी, गोरखपुर, बठिंडा, बिलासपुर और देवघर एम्स मोदी सरकार के आने के बाद से काम करना शुरू किया है जो अटल जी का सपना था जिसे मोदी जी पूरा कर रहे है।
कितने एम्स वाजपेयी के कार्यकाल में शुरू हुए?
केंद्र सरकार के बजट में एम्स के लिए अलग से राशि निर्धारित की जाती है। मोदी सरकार के आने से पहले दिल्ली एम्स को छोड़ दें तो देश में सिर्फ भोपाल, पटना, जोधपुर, रायपुर, भुवनेश्वर और ऋषिकेश एम्स ही काम कर रहे थे। इन सभी एम्स की अधारशिला अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में रखा गया, जो बाद में तैयार हुए वहीं, साल 2014 के बाद पीएम मोदी के कार्यकाल में 14 और नए एम्स का ऐलान हुआ. मंगलागिरी, नागपुर, गोरखपुर, राय बरेली, दरभंगा, जम्मू-कश्मीर, कल्याणी, बठिंडा, गुवाहटी, विजयपुर, बिलासपुर, देवघर, राजकोट, बीबीनगर, मदुरई, दरभंगा और मनेठी एम्स मोदी कार्यकाल में बनने शुरू हुए जिनका काम तेजी के साथ पूरा हो रहा है।