मुश्किल वक्त को अवसर में बदलना कोई मोदी जी से सीखे
एक तरफ भारत कोरोना को मात देने में लगा है, तो दूसरी तरफ भारत मुश्किल वक्त में नये अवसर भी तलाश रहा है। विश्व के देश एक दूसरे से मदद की गुहार लगा रहे हैं, तो भारत खुद के बूते पर इस लडाई को जीतने में लगा है। इसमें कोई शक नही है कि लॉकडाउन के चलते ही भारत आज कोरोना को रोकने में दूसरे देशों से ज्यादा सफल रहा है। लेकिन इसके साथ साथ मोदी सरकार की कुशल रणनिती ने भी कोरोना के पैर पसारने में रोकने में मदद की है।
मेक इन इंडिया पर बल
इस विपदा के वक्त को चुनौती मानकर मोदी सरकार ने मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने का काम शुरू किया है। जिसका असर ये देखा गया कि देश में ही रेलवे ने एक ऐसा वेंटिलेटर तैयार किया जो देखने में काफी छोटा तो है, साथ ही इसकी कीमत भी महज 20 हजार रूपये है, इस वेंटिलेटर को टेस्ट करके मान्यता भी दे दी गई है। जिससे माना जा रहा है कि देश में कुछ हद तक वेंटिलेटर की कमी दूर हो सकती है। इसके साथ साथ देश की कुछ कंपनियों ने भी हालात को भापते हुए तुरंत वेंटिलेटर बनाने का काम शुरू कर दिया है, आने वाले दिनो में भारत न केवल अपनी बल्कि विश्व के कई देशों की जरूरत को भी पूरा कर सकेगा।
रेलवे की खास भूमिका
जिस तरह से भारतीय रेल कोरोना को हराने के लिये मोर्चा ले रही है, ये बहुत सराहनीय कदम है, रेलवे ने अपने 2500 कोचों में करीब 40 हजार आइसोलेटेड बेड तैयार किये हैं, जो तारीफ के काबिल है, सबसे बड़ी बात तो ये है कि ये सब महज 2 हफ्ते से भी कम समय में पूरा किया गया है। इसी तरह चलती फिरती ट्रेन के जरिये इलाज का इंतजाम किया गया है। जो एक बड़ा कदम है। वही 26 हजार लीटर सेनिटाइजर तो 3 लाख मास्क भी बनाकर रेलवे ने आम लोगों तक पहुंचाया है।
फार्मास्यूटिकल के विकास के लिए बेहतर मौका
खुद पीएम ने इस कठिन मौके को चुनौति मानकर दवा बनाने वाली कंपनियों से अपील की है कि वो इस वक्त जब बाहर से सामान का आयात कम हो रहा है, तो खुद दवा बनाकर आत्मनिर्भर देश बनने की कोशिश करे जिससे आने वाले दिनो में भारत इस सेक्टर में पूरी तरह से आगे निखर कर विश्व में खड़ा हो सके। बहरहाल अमेरिका का मलेरिया की दवा देने की अपील इसी की एक बानगी है। लेकिन भारत एक ऐसा देश है जिसने विपदा के वक्त अपनो के साथ अपने दोस्तों का भी ध्यान पूरा रखा है। जिसके चलते भारत अमेरिका को ये दवा देने के लिए तैयार हो गया है। हालाकि कुछ लोग इसपर सियासत कर रहे हैं और कह रहे हैं कि अमेरिका के दबाव में पीएम ऐसा कर रहे हैं जबकि भारत के विदेश प्रवक्ता ने साफ कर दिया है कि भारत किसी के दबाव में आने वाला नहीं है। लेकिन इससे ये पता चलता है कि भारत की साख इस सेक्टर में क्या है
आयुष टेलीमेडिसिन के प्लेटफॉर्म को बढ़ाने का समय
पीएम ने एक बात और कही है वो है आयुष टेलीमेडिसिन को आगे बढ़ाने का भी ये उचित समय है, वैसे भी इस के जरिये हम सालों पुराने इलाज को ठीक कर चुके हैं लेकिन पीएम की ये सोच बता रही है कि कैसे हम अपनी जड़ो को मजबूत करके एक मजबूत भारत का निर्माण कर सकते हैं।
कुल मिलाकर जब समूचा विश्व कोरोना से हारा हुआ दिख रहा है तो भारत एक तरफ इससे लोहा ले रहा है तो दूसरी तरफ समूचे विश्व को ये समझाने में भी लगा है कि करोना को हराया जा सकता है। खुद WHO भारत की कोरोना से लड़ने के तरीके की तारीफ कर चुका है। और ये सब इस लिये हो पाया है क्योंकि हमारे पास एक कुशल प्रधान है जिसके चलते हम इस कठिन वक्त में भी आगे बढ़ते जा रहे हैं।

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