बीते बुधवार को संसद भवन के लाइब्रेरी में राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश और रवि दत्तक बाजपेयी द्वारा रचित पुष्तक ‘चंद्रशेखर – द लास्ट आइकान ऑफ आइडियोलॉजिकल पालिटिक्स’ के विमोचन का कार्यक्रम रखा गया| इस कार्यक्रम में PM मोदी, उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू के साथ-साथ लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद भी मौजूद थे|
इस पुष्तक के विमोचन का असली मायना था हमारे पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखरजी के राजनितिक विचारधारा का सम्मान करना और उनके प्रति अपनी स्मृति व्यक्त करना| पुष्तक की प्रथम प्रति उपराष्ट्रजपति एम. वेंकैया नायडू को भेंट करने के बाद PM मोदी ने कहा की चंद्रशेखर जी की राजनितिक विचारधारा उल्लेखनीय थी जिसका नतीजा है की आज उनके मृत्यु के 12 साल बाद भी उनके विचार हमारा सही मार्गदर्शन करते है और आज भी हमारे मन में जीवित है|
प्रधानमंत्री ने कहा की समाज में कुछ ऐसे असामाजिक तत्व भी है जो हमारे पूर्व प्रधानमंत्रियों जैसे डॉ. अंबेडकर और सरदार पटेल सहित कुछ महान भारतीय नेताओं के बारे में अनाब-सनाब और मनगढ़ंत बातें फैलाते है और जब उनसे ये पूछ दो की बताइए की हमारे देश में अब तक कितने प्रधानमंत्री रह चुके तो बस उन्हें गिने-चुने ही नाम याद आते है|
PM Modi: A museum for all former Prime Ministers who have served the country will be made. I invite their family members to share aspects of lives of former prime ministers, be it IK Gujral ji, Charan Singh ji, Deve Gowda ji and Dr. Manmohan Singh ji pic.twitter.com/XOdp4NroYm
— ANI (@ANI) July 24, 2019
इस बात पर विशेष जोर डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा की दिल्ली में सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों की स्मृति में एक बहुत बड़ा आधुनिक संग्रहालय (म्यूजियम) बनाया जाएगा और देश की जनता को उनके अच्छे कर्मा और विचारों से अवगत करवाना यही हमारा लक्ष्य है| आगे अपनी बात को पूरा करते हुए मोदी ने कहा की हम पूर्व प्रधानमंत्रियों के परिजनों से इन महान हस्तियों के जीवन की उल्लेखनीय पहलुओं को और उत्कृष्ट कार्यों की भी जानकारी ली जाएगी और फिर इस संग्राहलय में लोगों को इन सब के बारे में बताया जायेगा|
प्रधानमंत्री ने कहा की देश को अब रुढ़िवादी, तर्क और निंदा वाली राजनीती नहीं बल्कि पारंपरिक और सांस्कृतिक राजनीती की आवश्यकता है|
चंद्रशेखर जी से अपनी पहली मुलाकात को याद करते हुए मोदी ने बताया की 1977 में जब वो पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत के साथ यात्रा कर रहे थे तब वो दिल्ली एयरपोर्ट पर श्री चन्द्रशेखर से मिले| मोदी कहते है की चन्द्रसेखर जी अटल जी को गुरूजी कह कर संबोधित करते थे और बड़े सिधांत वाले व्यक्ति थे क्योंकि गलत के विपक्ष में जाने से वे कभी नहीं हिचकिचाए और इसीलिए अपने समय की मजबूत पार्टी के कुछ मामलों से असहमत होने पर उसके खिलाफ चले गए| मोदी जी ने चंद्रशेखर जी के एतिहासिक पदयात्रा का भी स्मरण किया|
मोदी ने कहा की एक समय जब पूर्व प्रधानमंत्री बीमार पड़े थे तब उन्होंने फ़ोन कर के मुझसे मिलने की इच्छा जताई और साथ ही उस फ़ोन पर गुजरात के विकाश की पूरी खबर भी ली थी|