भारत का सिरमौर और धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर में आतंकवाद की चोट सिर्फ वहां के जन जीवन पर ही नहीं बल्कि घाटी में पर्यटन पर भी पड़ा था| कभी देसी-विदेशी पर्यटकों से भरे रहने वाले कश्मीर में हालत इतने ख़राब हो गए थे कि पर्यटक संशय और असुरक्षा की भावना से बचते हुए भारत के अन्य पर्वतीय राज्यों जैसे हिमाचल, उत्तराखंड और सिक्किम की तरफ रुख कर रहे थे|
मृतप्राय पर्यटन को जिंदा करने को सरकार का मास्टरप्लान
लेकिन आर्टिकल 370 ख़त्म करने के बाद भारत की मोदी सरकार कश्मीर को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने की हर इमानदार कोशिश में जुट गयी है| इन्हीं कोशिशों में से एक है घाटी में मृतप्राय पर्यटन को जिंदा करना| इस कार्य के लिए सरकार ने जो रूपरेखा बनाई है उसकी मुख्य बातें इस प्रकार है|
- पर्यटन मंत्रालय का एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख का दौरा करेगा, और मुख्य पर्यटन स्थलों के अलावा भी वैसे स्थानों की पहचान करेगा जहाँ पर्यटन की संभावनाएं हैं| इस टीम की अगुवाई खुद पर्यटन मंत्री प्रहलाद पटेल करेंगे|
- टूरिस्ट गाइडों को उच्च स्तरीय प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाएगी| उल्लेखनीय है की किसी भी पर्यटन स्थान की सफलता में वहां के टूरिस्ट गाइडों की प्रमुख भूमिका होती है| खास कर विदेशी पर्यटकों को लुभाने के लिए और उन्हें पर्यटन के समुचित अनुभव के लिए प्रशिक्षित गाइडों की आवश्यकता होती है|
- सरकार के प्लान में एक मुख्य बात कश्मीर में पर्यटन सुविधाओं को बढ़ावा देना भी है| अभी तक यहाँ उपलब्ध सुविधाएँ पर्याप्त नहीं हैं|
- पर्वतारोहण को बढ़ावा देना भी सरकार की प्राथमिकता में है| उल्लेखनीय है की समूचे विश्व में एडवेंचर टूरिज्म और ट्रेकिंग के दीवानों की तादाद देती से बढ़ी है| खास कर युवा जो आत्मनिर्भर हैं, उनकी इनमें ज्यादा दिलचस्पी होती है| इसे बढ़ावा देने के लिए पर्यटन मंत्रालय की सिफारिश पर हिमाचल, सिक्किम, और उत्तराखंड स्थित हिमालय की 137 पर्वत चोटियां आम जनों के लिए खोल दी गयी है| पहले यहाँ जाने के लिए गृह और रक्षा मंत्रालय की अनुमति जरुरी होती थी|
आशा है की केंद्र सरकार द्वारा बनाये गए इस प्लान के कार्यान्वित होने के बाद घाटी में पर्यटकों की चहल-पहल वापस आएगी और घाटी की सुन्दरता के चर्चे देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी फिर से बढ़-चढ़ कर होंगे|