केन्द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह की अध्यक्षता में नई दिल्ली में भारत सरकार, त्रिपुरा और मिज़ोरम सरकार और ब्रू-रियांग प्रतिनिधियों के बीच में एक समझौते पर हस्ताक्षर किया गया हैं। इस नए समझौते से करीब 23 वर्षों से चल रही इस बड़ी मानव समस्या का स्थायी समाधान किया जाएगा व करीब 34 हजार व्यक्तियों को त्रिपुरा में बसाया जाएगा। इस अवसर पर श्री जोराम्थंगा, मुख्यमंत्री (मिज़ोरम), श्री बिपलब कुमार देब, मुख्यमंत्री (त्रिपुरा), श्री हेमन्त बिस्व सरमा, अध्यक्ष, NEDA, श्री प्रद्युत किशोर देबबर्मा, अध्यक्ष, TIPRA एवं ब्रू प्रतिनिधियों के साथ वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित रहे।
यह ऐतिहासिक समझौता उत्तर पूर्व की प्रगति और क्षेत्र के लोगों के सशक्तीकरण के लिए प्रधानमंत्री मोदी के दृष्टिकोण के अनुरूप है। कार्यभार संभालने के बाद श्री मोदी ने कई नीतिगत कदम उठाए हैं, जिससे इस क्षेत्र के बुनियादी ढांचे, कनेक्टिविटी, आर्थिक विकास, पर्यटन और सामाजिक विकास में सुधार हुआ है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने त्रिपुरा में ब्रू-रिआंग शरणार्थियों को स्थायी रूप से बसाये जाने के समझौते का स्वागत किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि इससे उन्हें मदद मिलेगी। उन्होंने कहा ब्रू-रिआंग शरणार्थियों को सरकार के अनेक विकास कार्यक्रमों का लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि वास्तव में यह खास दिन है।
Committed to the development of the Northeast and it’s citizens!
Today’s agreement will greatly help the Bru-Reang refugees. They will also benefit from numerous development schemes.
A special day indeed. https://t.co/jzlExPyjfB
— Narendra Modi (@narendramodi) January 16, 2020
श्री शाह ने कहा कि प्रधान मंत्री श्री मोदी के नेतृत्व वाली भारत सरकार ने लंबे समय से हजारों की संख्या में प्रताड़ित व्यक्तियों को पुनः बसाने का स्थायी समाधान निकाल लिया है। इस समझौते के अंतर्गत ब्रू-रियांग को पुनरस्थापित करने का यह मुद्दा त्रिपुरा और मिज़ोरम राज्यी सरकारों व ब्रू-रियांग प्रतिनिधियों से विचार-विमर्श कर एक नई व्यवस्था बनाने का फैसला किया जिसके अंतर्गत वे सभी ब्रू-रियांग परिवार जो त्रिपुरा में ही बसना चाहते हैं और उनके लिए त्रिपुरा में ही व्यवस्था करने का फैसला किया है। इन सभी लोगों को राज्य के नागरिकों के सभी अधिकार दिये जाएँगे और वे केंद्र व राज्य सरकारों की सभी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठा सकेंगे। गृह मंत्री ने कहा की इस नए समझौते के बाद ये ब्रू-रियांग परिवार अपना सर्वांगीण विकास करने में समर्थ होंगे। इस नए समझौते को करने के लिए भारत सरकार को त्रिपुरा व मिज़ोरम सरकारों, ब्रू-रियांग प्रतिनिधियों का पूरा समर्थन मिला है।
श्री शाह ने बताया की इस नई व्यवस्था के अंतर्गत विस्थापित परिवारों को 40×30 फुट का आवासीय प्लॉट दिया जाएगा और उनकी आर्थिक सहायता के लिए प्रत्येाक परिवार को, पहले समझौते के अनुसार 4 लाख रुपये फ़िक्स्ड डिपॉज़िट में, दो साल तक 5 हजार रुपये प्रतिमाह नकद सहायता, दो साल तक फ्री राशन व मकान बनाने के लिए 1.5 लाख रुपये दिये जाएंगे। इस नई व्यवस्था के लिए त्रिपुरा सरकार भूमि की व्यवस्था करेगी। आज भारत सरकार, त्रिपुरा और मिज़ोरम सरकार और ब्रू-रियांग प्रतिनिधियों के बीच यह नया समझौता हुआ है जिसमें करीब 600 करोड़ रुपये की सहायता केंद्र द्वारा दी जाएगी।
श्री शाह ने कहा कि हाल ही में उग्रवादी संगठन NLFT(SD) के 88 हथियारबंध उग्रवादियों द्वारा आत्मसमर्पण किया गया और उन्हें मुख्यधारा में शामिल किया गया। त्रिपुरा राज्य के लिए ये एक महत्वपूर्ण कदम था जिससे राज्य की शांति व्यवस्था मे महत्वपूर्ण सुधार हुआ। गृह मंत्री ने कहा कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में उत्तर पूर्व कि बड़ी समस्याओं को तीव्र गति से हल किया जा रहा है और ब्रू-रियांग सम्झौता त्रिपुरा के लिए उस दिशा में एक दूसरा महत्वपूर्ण कदम है। गृह मंत्री ने कहा कि शीघ्र ही सम्पूर्ण उत्तर पूर्व में पूर्ण शांति बहाल कर इस क्षेत्र का तीव्र विकास किया जाएगा।
कौन हैं ब्रू शरणार्थी और ये कब से भारत में रह रहे हैं?
सबसे पहले आपको बता दें कि ब्रू शरणार्थी कहीं बाहर के नहीं बल्कि अपने ही देश के शरणार्थी हैं, जिन्हें ब्रू (रियांग) जनजाति भी कहते हैं। मिजोरम में मिजो जनजातियों का कब्जा बनाए रखने के लिए मिजो उग्रवाद ने कई जनजातियों को निशाना बनाया जिसे वो बाहरी समझते थे। अक्टूबर, 1997 में ब्रू लोगों के खिलाफ जमकर हिंसा हुई, जिसमें दर्जनों गावों के सैकड़ों घर जला दिए गए। जातीय तनाव के कारण करीब 5,000 ब्रू-रियांग परिवारों ने, जिसमें करीब 30,000 लोग शामिल थे। उन्होंने आकर मिजोरम से त्रिपुरा में शरण ली, और वह सभी कंचनपुर, उत्तरी त्रिपुरा में अस्थाई कैंपों में रखे गए। ब्रू लोग तब से जान बचाने के लिए रिलीफ कैंपों में रह रहे हैं। यहां की हालात इतने खराब है कि इन लोगों को मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिलती हैं।