2019 के लोकसभा चुनाव ख़त्म हो गए नयी सरकार का गठन भी हो गया| नरेद्र मोदी ने बतौर प्रधानमंत्री अपने कैबिनेट मंत्रियों के साथ अपने दुसरे पांच साल के कार्यकाल की शुरुआत बीते शुक्रवार, 31 मई को कर दी और अपने पहले ही कैबिनेट की बैठक में बहुत सी जलकल्याणकारी योजनाओ को हरी झंडी भी दे दी है| मोदी 2.0 ने ये साफ़ कर दिया है की देश की प्रगति, सामरिक सुरक्षा, और अंदरूनी शांति जैसे मुद्दों पर सरकार किसी प्रकार का समझौता नहीं करेगी|
यही कारण है की अमेरिका जैसी देश की महाशक्ति की धमकियों का भी सरकार पर कोई असर नहीं हो रहा और मोदी चुपचाप अपना काम किये जा रहे हैं|
क्यूँ है अमेरिका परेशान
सूत्रों की माने तो अमेरिका को भारत और रूस के बीच हुए मिसाइल रक्षा प्रणाली ‘एस-400’ का समझौता कुछ रास नहीं आया| ट्रंप प्रशासन ने चेतावनी दी थी कि रूस से मिसाइल रक्षा प्रणाली ‘एस-400’ खरीदने के फैसले का अमेरिका और भारत के बीच संबंधों पर गंभीर असर पड़ेगा|
आपको जानकारी दे दें कि एस-400 सतह से हवा में मार करने में सक्षम रूस की अत्याधुनिक मिसाइल रक्षा प्रणाली है। चीन ने रूस से इस प्रणाली की खरीद के लिए 2014 में सबसे पहले समझौता किया था। और अमरीका भारत को अपने मिसाइल डिफेंस सिस्टम बेचने की पेशकश भी कर चूका है लेकिन भारत रूस के साथ हुए अपने करार से पीछे हटने को तैयार नहीं है|
इसके अलावा, कुछ ही दिन पहले आये IMD World Business Rankings से पता चला था की अमेरिका पहले पायदान से फिसलकर तीसरे स्थान पर चला आया है | इससे पता चलता है की अमेरिका की अर्थव्यवस्था नीचे जा रही है|
अमेरिका ने भारत को मिलनेवाली GSP तरजीह ख़त्म की
अमेरिका ने भारत को मिलने वाली सामान्य तरजीही प्रणाली (GSP) को ख़त्म कर दिया जो की 5 जून से अधिकारिक तौर पर ख़त्म क्र दिया जायेगा| अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इसकी घोषणा वाइट हाउस में की| आपको बता दे कि ट्रम्प ने इस बात का एलान 4 मार्च 2019 को ही कर दिया था और कहा था कि वो जल्द ही भारत को जीएसपी कार्यक्रम से बाहर करेगा|
क्या है GSP और क्या हैं इसके लाभ
सामान्य तरजीही प्रणाली अमेरिका द्वारा अन्य देशों को व्यापार में दी जाने वाली एक तरजीह है जिसके अंतर्गत GSP प्राप्त देशों को किसी शुल्क के अमेरिका को निर्यात करने की छुट मिलती है| GSP अमेरिका की बहुत बड़ी और पुराणी प्रणाली है| साल 2017 में भारत इस प्रणाली का सबसे बड़ा लाभार्थी था| 2017 में भारत ने GSP के तहत अमेरिका को 5.7 अरब डॉलर का निर्यात किया था|
मुद्दे की बात ये है की GSP के दायरे से भारत को बाहार करना तो अमेरिका का सिर्फ एक तरीका है ताकि वो भारत पर दबाव बना सके| भारत के रूस के साथ वापस बढती नजदीकियां अमेरिका को खटक रही है तभी तो अमेरिका GSP का मुद्दा उठा कर भारत पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है| ये देखना दिलचस्प होगा कि अमेरिका के इस फैसले पर भारत सरकार क्या जवाब देगी और इस से निपटने के लिए मोदी का अगला कदम क्या होगा| देश की जनता को मोदी के फैसले का इंतज़ार रहेगा|