हमारे देश में शरणार्थियों का मुद्दा चुनावी माना जाता है। हमारे देश में नेता, ऐसे शरणार्थियों के आधार कार्ड बनवा देते हैं और बाद में इसी आधार कार्ड से उनका वोटर आईडी कार्ड भी बन जाता है। यानी वो शरणार्थी से वोटर बन जाते हैं। ये राजनीति का बिजनेस मॉडल है, जिसमें नेता वोटों की खरीदारी के लिए राष्ट्रीय हित को भी भूल जाते हैं जिसके बाद देशवासियों को इसकी कीमत चुकानी पड़ती है यानी दंगे के रूप में और सरकार सुविधा को ये लोग लेते है जिसके ये हकदार नहीं होते है।
दिल्ली दंगे में बंग्लादेशी और रोहिंग्या का हाथ
जहांगीरपुरी हिंसा के 24 घंटे के भीतर पुलिस ने 23 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। लेकिन इस घटना में भी साफ हो रहा है कि कही ना कही रोहिंग्या और बांग्लादेशी प्रवासियों द्वारा इस घटना को अंजाम दिया गया है। सरकार की खुफिया रिपोर्ट की माने तो इस इलाके में बड़ी भारी संख्या में ये लोग रहते है जिन्हे कई बार वहां से हटाने की कोशिश की गई है लेकिन हर बार सियासत के चलते ये लोग बच निकलते है। कई जानकारों की माने तो ये लोग इलाके में कई आपराधिक वारदात भी करते रहते है जिससे इस इलाके का माहौल भी कई बार खराब हुआ है। पुलिस की माने तो आशंका जताई जा रही है कि हिंसा में अवैध प्रवासी शामिल थे और उन्होंने माहौल खराब किया। पुलिस ने दो मुख्य आरोपी अंसार और असलम को पकड़ लिया है, बाकियों की धडपकड़ चल रही है।
सियासत के चलते बसाये गये ये लोग
जहांगीरपुरी में बसाये गये लोगो को सिर्फ सियासत के चलते ही बसाया गया है। जानकारों की माने तो 80 के दशक में ये लोग बंग्लादेश के प्रवासी थे जिन्हे धीरे धीरे सियासी शरण मिलती रही और ये इस इलाके में बसते चले गये है। नेताओं ने अपने वोट बैंक को मजबूत करने के लिए पहले इन्हे दिल खोलकर बसाया और जब ये लोग पूरी तरह से यहां बस गये तो ये लोग आपराधिक वारदात करने लगे आलम ये है कि आज ये लोग देशविरोधी कामो को भी करने लगे। इतना ही नही इन लोगों ने देश में गरीबों को मिलने वाली सरकारी सुविधा पर भी हमला किया है। तभी नेताओं को खुश करके आझ इन सभी ने सरकारी हर सुविधा का फायदा भी उठा रहे है। जबकि देश के असल गरीब दर दर की ठोकर खाने को मजबूर है।
आज दंगे के बाद जब इन लोगो की कलई खुल गई है तो भी कुछ लोग अपनी सियासत चमकाने के लिए इन्हे बेकसूर बता रहे है। जबकि अगर आज इनका इलाज नहीं हुआ तो ये आने वाले दिनों में देश के लिए नासूर बन सकते है।