कहते हैं जहां चाह होती है वहां राह अपने आप निकल आती है। बस इसके लिये लोगों में उत्साह भरना पड़ता है और पूरी ईमानदारी से लोगों की मदद करनी होती है। कुछ यही काम मोदी सरकार डेयरी उत्पादन को बढ़ाने और पशुपालन के लिए लोगों को आगे आने के लिये किया जिसका नतीजा ये हुआ कि आज पशुपालन और डेयरी उत्पादन के चलते किसानो को खेती की जगह एक नये आय का साधन मिल गया है। 6 साल के भीतर देश में दूध का उत्पादन 44 फीसदी तो अंडों का उत्पादन में 53 फीसदी का इजाफा हुआ है।
20 करोड़ टन दूध उत्पादन
सरकार के ऑकड़ो की माने तो बीते छह साल के कार्यकाल में दूध उत्पादन में बहुत ज्यादा इजापा हुआ है। 2013-14 में देश में जहां दूध का उत्पादन 13.7 करोड़ टन था, वहां 2019-20 में बढ़कर करीब 20 करोड़ टन हो गया। तो इसी प्रकार, 2013-14 में जहां 74.75 अरब अंडों का उत्पादन हो रहा था, वहां 2019-20 में 114.38 अरब उत्पादन हो रहा है जो अपने आप में ये बताता है कि अब लोगों का रुझान इस तरफ भी बढ़ा है. वैसे लॉकडाउन के दौरान सरकार ने आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत भी इस तरफ कारोबार करने वालो को आर्थिक मदद भी दी गई थी। इसके साथ साथ बड़े पैमाने में जो लोग बड़े शहरो से अपने गांव आये ते उन्होने भी इस तरह रुजान दिखाया जिसका अशर ये हुआ कि आज भारत दूध उत्पादन और अंडा उत्पादन में ये मुकाम छू सका है। इतना ही नहीं ये इजाफा साफ दर्शाता है कि सरकार ने जो इंसेंटिव दिए हैं वो सही जगह गए हैं, इसलिए पशुपालन और डेयरी सेक्टर में आकर्षक वृद्धि हुई है।
किसानों को मिली अधिक कीमत
2014 से पहले किसानों का औसतन जहां एक लीटर दूध का दाम 30.58 रुपये मिलता था, वहां 2018-19 में 34.12 रुपये प्रति लीटर मिलने लगा और इस समय तो दूध के दाम में और इजाफा हुआ है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में जब होटल, रेस्तरां, कैंटीन में दूध की मांग प्रभावित होने से दूध की खपत घट गई थी। उस समय भी सहकारी संगठन किसानों से दूध खरीदकर मिल्क पॉउडर बनाने लगे जिससे किसानों पर कोई असर नहीं पड़ा। उल्टा किसानों की आत्मनिर्भयता खेती की जगह दूसरी तरफ भी बढ़ा जिससे उनकी आय भी बढ़ी। वैसे मोदी सरकार सत्ता में आने के बाद से ही लगातार ये कहती हुई दिखाई दी है कि किसानों को अपनी आय बढ़ाने के लिये केवल खेती पर निर्भर नही रहना चाहिये उन्हे दूसरे साधनो का भी इस्तेमाल करना चाहिये जिससे उनकी आय बढ़ सके।
दूध उत्पादन या अंडा उत्पादन में हुए भारी इजाफे से यही पता चलता है कि रास्ता तो किसानो ने सही चुन लिया है बस अब इसी रास्ते पर चलते जाना है और तेजी से अपना और देश का आर्थिक विकास करना है।