कर्नाटक के सरकारी स्कूल, कॉलेजों में छात्राओं के हिजाब पहनकर आने पर लगे प्रतिबंध का मुद्दा इन दिनों गरम है। इस मुद्दे पर स्टूडेंट दो समूहों में बंट गए हैं- एक हिजाब के समर्थन में तो दूसरा उसके विरोध में। हिजाब का समर्थन करने वालों की दलील है कि हिजाब इस्लाम का (is wearing hijab an integral part of Islam?) अभिन्न हिस्सा है और इस पर प्रतिबंध उनकी धार्मिक आजादी में अतिक्रमण है। मामला अदालत में भी पहुंच गया है। अब सबसे बड़ा सवाल है कि क्या हिजाब इस्लाम का अभिन्न हिस्सा है? अलग-अलग वक्त पर कुछ ऐसे ही सवालों पर उच्च न्यायपालिका फैसले सुना चुकी है। अदालती आदेशों के आईने में देखें तो मस्जिद इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है, नौकरी के लिए दाढ़ी जरूरी नहीं है, तीन तलाक भी इस्लाम का हिस्सा नहीं है। तो आखिर हिजाब पर इतनी बहस क्यों? आइए सिलसिलेवार ढंग से समझते हैं कि धार्मिक स्वतंत्रता पर संविधान क्या कहता है और धार्मिक स्वतंत्रता से जुड़े विवादों पर उच्च न्यायपालिका क्या फैसले सुनाये है।
अधिकारों पर क्या कहता है संविधान
अब समझते हैं कि हिजाब से जुड़े ताजा विवाद में मूल अधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का क्या ऐंगल है। संविधान का अनुच्छेद 19 (1) (a) कहता है कि सभी नागरिकों को अभिव्यक्ति की आजादी है। लेकिन संविधान में ये भी कहा गया है कि ये अधिकार असीमित नहीं है। आर्टिकल 19(2) कहता है कि सरकार आर्टिकल 19 के तहत मिले अधिकारों पर कानून बनाकर तार्किक पाबंदियां लगा सकती है। इसी अनुच्छेद में कहा गया है कि भारत की संप्रभुता, अखंडता के हितों, राष्ट्रीय सुरक्षा, दोस्ताना संबंधों वाले देशों से रिश्तों, पब्लिक ऑर्डर, नैतिकता, कोर्ट की अवमानना, किसी अपराध के लिए उकसावा के मामलों में आर्टिकल 19 के तहत मिले अधिकारों पर सरकार प्रतिबंध लगा सकती है।
कोर्ट पहले भी हिजाब पहनने की दलीली को कर चुका है खारिज
हिजाब का मुद्दा कई बार अदालत के सामने पहुंचा है. केरल हाईकोर्ट में फातिमा तसनीम बनाम केरल राज्य (2018) के मामले में हाईकोर्ट की एकल पीठ ने कहा कि संस्था के सामूहिक अधिकारों को याचिकाकर्ता के व्यक्तिगत अधिकारों पर प्रधानता दी जाएगी. इस मामले में 12 और 8 साल की दो बच्चियां शामिल थी, जिनके पिता चाहते थे कि वे सिर पर स्कार्फ और पूरी आस्तीन की शर्ट पहनें। हालांकि कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी। इसी तरह मद्रास कोर्ट ने भी एक मामले पर हिजाब को पहनने से रोकने की बात कही थी तो बॉम्बे कोर्ट ने भी हिजाब को सही नही बताया।
ऐसे में अब सवाल ये उठता है कि आखिर फिर देश में एक वर्ग को हिजाब के नाम पर गुमराह करके आखिर कौन देश का माहौल खराब करना चाहता है। ऐसे में कही किसान आंदोलन और सीएए की तरह इसमें भी साजिश रच कर देश को कमजोर करने की साजिश तो नही हो रही है। इन सब बातो को ध्यान में रख कर हमें सोचना चाहिये क्योंकि इसके बाद ही हम सही जवाब पर पहुंचेगे।