सीमा विवाद को हवा देने वाले चीन की आर्थिक कमर तोड़ने के लिए भारत कोई मौका छोड़ नही रहा है। लगातार मोदी सरकार ऐसे कदम उठा रही है जिससे चीन की इकोनॉमी को जोर का झटका लग रहा है। इसी क्रम में मोदी सरकार टेलीकॉम उपकरणों को खरीदने के लिए भरोसेमंद कंपनियों की लिस्ट बनाएगी। जिसका सीधा मतलब है कि आने वाले दिनों में चीन की कुछ बड़ी कंपनियों को पाबंदियां झेलनी होंगी।
इस सेक्टर में चीनी कंपनियों का रहा है दबदबा
दूरसंचार क्षेत्र में चीन की ZTE सबसे बड़ी खिलाड़ी है इसके अलावा, Huawei का बाजार भी अच्छा खासा है, मगर चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के आक्रामक और विस्तारवादी रुख के चलते अब इन कंपनियों के भी बुरे दिन शुरू होने वाले हैं। केंद्र सरकार टेलीकॉम उपकरण उपलब्ध कराने वाली विश्वसनीय कंपनियों की एक सूची तैयार करेगी, जिनसे देश की दूरसंचार कंपनियां उपकरण खरीद सकती हैं। इस फैसले का सीधा असर चीनी कंपनियों पर होगा।केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बताया कि दूरसंचार क्षेत्र में सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए ये फैसला लिया गया है। इसके तहत सरकार भरोसेमंद कंपनियों की सूची जारी करेगी। देश में दूरसंचार नेटवर्क तैयार करने के लिए इन्हीं कंपनियों से उपकरण खरीदे जाएंगे। उन्होंने आगे कहा कि कंपनियों की सूची नेशनल साइबर सिक्योरिटी कोऑर्डिनेटर तैयार करेंगे। भरोसेमंद कंपनियों और उत्पाद की लिस्ट एक कमेटी अप्रूव करेगी, जिसके प्रमुख डिप्टी नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर होंगे। कमेटी में संबंधित विभागों और मंत्रालयों के सदस्य भी शामिल होंगे। साथ ही दो सदस्य इंडस्ट्री और स्वतंत्र विशेषज्ञ होंगे। रविशंकर प्रसाद ने इस फैसले को चीन से जोड़कर देखने पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार करते हुए कहा कि यह योजना स्वदेशी कंपनियों द्वारा विकसित उपकरणों को बढ़ावा देने पर केंद्रित है। हमारा उद्देश्य टेलीकॉम क्षेत्र की सुरक्षा को और पुख्ता करना है। उन्होंने यह भी कहा कि इन निर्देशों का सालाना रखरखाव से जुड़े करारों पर असर नहीं पड़ेगा. निर्देश जारी होने से पहले जो उपकरण नेटवर्क में इस्तेमाल हो रहे हैं, उन्हें भी इनके दायरे से बाहर रखा गया है। इसमें देश की कंपनियों को वरीयता देने का भी प्रावधान है।
चीन में बने एप पर पहले लग चुकी है रोक
इस कदम से पहले मोदी सरकार ने चीन के बड़े बड़े एप पर रोक लगा चुके है। 100 अधिक एप जो भारत में बढ़िया व्यवसाय कर रहे थे आज उनको मोदी सरकार ने बाहर का रास्ता दिखाकर चीन की एक तरह से आर्थिक कमर तोड़ दी है। इतना ही नही देस के भीतर अधिकतक चीनी कंपनियों से जो भी काम करवाये जा रहे थे वो सब अनुबंध तोड़ दिये गये है या निरस्त कर दिये गये है। जिससे चीन की माली हालत काफी खराब हुई है। भारत से बैर लेने का असर ये भी देखा गया कि महज दिवाली के त्योहार के वक्त करीब 12 सौ करोड़ से अधिक की चपत लग चुकी है। जिससे ये लगता है कि मोदी जी ने चीन की सही नस दबाई है।
यानी सीमा पर तो चीनियों को हमारे जवान करारा जवाब दे रहे है तो दूसरी तरफ आर्थिक मोर्चे में भी चीन आज भारत से चोट खा रहा है तो विश्व समुदाय के बीच चीन की तस्वीर भी ठीक नही है ऐसे में अब जो लोग ये कहते है कि मोदी नीति चीन के मुद्दे पर फेल हो रही है। उन्हे चीन की हालत पर नजर डालनी चाहिये औऱ फिर मोदी सरकार के खिलाफ बोलना चाहिये।