नेपाल, दुनिया का एकमात्र हिन्दू देश। भारत का सबसे अच्छा पड़ोसी, सीमाएँ जिसे रोकती नहीं थी। हर दुख सुख में भारत साथ खड़ा होता था। बड़ा भाई-छोटा भाई का रिश्ता मशहूर था। फिर ये अचानक कुछ दिनों में ऐसा क्या हो गया कि नेपाल भारत के खिलाफ अपनी कूटनीतिक मर्यादाओं को भी भूल गया? क्या यह भारतीय विदेश नीति का एक कमजोर कड़ी है? क्या इसमे तीसरे देश की भूमिका है? चीन के इस अलगाव के पीछे मकसद क्या है? ऐसे कई सवाल आपके मन में भी घुमड़ रहे होंगे। हमने उसी को जानने की कोशिश की है।
विगत कुछ दिनों में नेपाल के तरफ से भारत के खिलाफ अलग ही रुख रहा है। पहले नेपाल का रुख समझते हैं:
- नेपाल ने पहले लिपुलेख इलाके पर अपना दावा किया जहां भारत ने सड़क बनाया है और रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने 11 मई को उद्घाटन किया था
- नेपाल ने नया नक्शा जारी किया जिसमे लिपुलेख इलाके को नेपाल का हिस्सा दिखाया गया है
- नेपाली पीएम ने भारत के खिलाफ उगला जहर, पूछा भारत की नीति क्या है? सीमामेव जयते या सत्यमेव जयते?
- नेपाली पीएम के बिगड़े बोल, कहा- भारत से आने वाला कोरोना वायरस संक्रमण चीन और इटली से अधिक घातक है
अब सवाल उठता है कि नेपाल जो कल तक सबसे ज्यादा भारत पर विश्वास करता था, और भारत भी बड़े भाई की भूमिका में नेपाल को मदद करता था, आखिर ऐसा क्या हुआ जो नेपाल ने अचानक अपना रुख बदल दिया?
भारत यह खुले तौर पर मान रहा है कि यह चीन की चाल है। कोरोना वायरस के मुद्दे पर चीन घिरा हुआ है इसलिए दुनिया का ध्यान भटकाने के लिए काभी सिक्किम सीमा पर तो कभी लद्दाख सीमा पर ऐसी चालें चल रहा है। चूंकि नेपाल में कम्युनिस्ट सरकार है और चीन के करीब है तो नेपाल भारत का यह बिगड़ता संबंध भी उसी चाल का एक हिस्सा है।
चीन की बेचैनी का कारण
- भारत उन देशों में से है जिसने कोरोना महामारी में विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO) की भूमिका की जांच करने की मांग की है, साथ साथ कोरोना जानवरों से इंसानों में कैसे फैला इसकी जांच की मांग की गई है, जिस से चीन चिढ़ हुआ है
- ताइवान WHO में अपना अलग प्रतिनिधित्व चाहता है जिसका भारत संमेत दुनिया के बहुत सारे देशों ने संमर्थन किया है जबकि चीन चाहता है कि भारत उसके ‘एक चीन’ के नीति को माने
- चीन में कोरोना संक्रमण के बाद बहुत सारी कंपनियां भारत आ रही है इसके कारण भी चीन खीझ निकाल रहा है
- ओबोर परियोजना पर भारत के विरोध से भी चीन खफा रहा है और समय समय पर संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान को कश्मीर और आतंकवाद के मुद्दे पर समर्थन देता रहा है
कम्युनिस्टों का बहुत बड़ा षड्यन्त्र
- चीन की कम्युनिस्ट सरकार तिब्बत के बौद्ध के पीछे पड़ा है
- चीन की कम्युनिस्ट सरकार नेपाल के हिन्दू राज्य को बर्बाद करने में लगा है
- चीन पाकिस्तान के आतंकियों को संमर्थन दे रहा है
- चीन उत्तर कोरिया के तानाशाह सरकार को बढ़ावा दे रहा है
- चीन हाँगकाँग और ताइवान पर अपना पूर्ण कब्जा जमाने के फिराक में है
नेपाल के हाल का रुख भी इसी कड़ी का एक हिस्सा है। नेपाल के हिन्दू राज्य को खत्म कर चीन उसे अपने अधिकार में लेना चाहता है। चीन की नीति भारत के सभी पड़ोसी देशों को भारत के खिलाफ खड़ा करना है। वो पहले से ही बांग्लादेश और श्रीलंका के साथ इसी कोशिश में लगा है। पहले कर्ज से छोटे देशों को लादता है, फिर धीरे धीरे अपनी विस्तारवादी नीति के तहत वहाँ फैल जाता है। नेपाल भी इसी जाल में फँसते जा रहा है।
Indians should know that there was a conspiracy to end the only Hindu state in the world. They collaborated with Maoists. They hosted Prachand and Babu Ram Battarai in safe houses here.They destroyed the only Hindu state. Their mission was complete. /8
— governorswaraj (@governorswaraj) May 20, 2020
नेपाल में आए भयंकर भूकंप के बाद से भारत नेपाल की मदद में लग गया था, वहीं चीन मदद के बहाने अपने विस्तारवादी नीति में लग गया था। कुछ साल पहले चीन को नेपाल के एक पणबिजली परियोजना से भी हाथ खींचना पड़ा था क्योंकि नेपाल में इसका काफी विरोध शुरू हो गया था। लेकिन नेपाल की कम्युनिस्ट सरकार की चीन की कम्युनिस्ट सरकार से निकटता भारत के लिए एक नई चुनौती है। अब देखना होगा कि भारत किस तरह से इस चुनौती को अवसर में बदल कर अपने छोटे भाई को फिर से अपने करीब ला पाता है।