भारतीय रेलवे आपके रेल के सफ़र को और भी सुविधाजनक और आरामदेह बनाने के दिशा में निरंतर प्रयास कर रहा है| सफ़र के दौरान यात्रियों की सुख-सुविधा को बेहतर करने के लिए रेलवे ने कई क्रन्तिकारी परिवर्तन किये हैं| इस कड़ी में सबसे ताजा खबर राजधानी और शताब्दी जैसी ट्रेनों के सफ़र के बारे में है|
राजधानी और शताब्दी जैसी ट्रेनों का सफ़र होगा हिचकोलों से मुक्त
उल्लेखनीय है की देश की लगभग सभी हाई-स्पीड ट्रेनों में लिंक हॉफमैन बुश (एलएचबी) कोच लगाये जा चुके हैं| इन नए प्रकार के कोच के लगने से ट्रेनों की रफ़्तार बढ़ गयी थी| लेकिन दो कोच को आपस में जोड़ने के लिए उपयोग में आने वाले उपकरण सेंटर बफर कपलर्स (CBC) के चलते इन ट्रेनों में कभी कभी अचानक ब्रेक लगने पर अथवा तेज गति में ट्रेन के चलने पर जोर का झटका लगता था| ऐसे में खान-पान की चीज़ें अपनी जगह से गिर जाती थी, गलियारे में चल रहे यात्रियों को सहारा लेकर चलना पड़ता था|
अब रेलवे ने इस सफ़र को हिचकोलों से मुक्त कर दिया है| रेलवे ने 42 राजधानी रैक समेत करीब 5000 से भी ज्यादा एलएचबी कोचों में पुराने CBC (सिंगल पैक ड्राफ्ट/ फ्लोटिंग पैक ड्राफ्ट गियर पर आधारित) को बदल कर नए प्रकार के CBC (शॉक एबजौर्बर पर आधारित बैलेंस्ड ड्राफ्ट गियर) को लगाया है| हर कोच पर करीब पांच लाख की लागत से खर्च आया है लेकिन अब सफ़र एकदम हिचकोलों से मुक्त होगा|
नवम्बर 2018 में शुरू हुए इस कार्य को 6 महीने में ख़त्म करने का लक्ष्य रखा गया था जिसे तय समय के हिसाब से इस साल अप्रैल तक पूरा कर लिया गया|