जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाने के बाद उपजे हालात का जायज लेने दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे विदेशी राजनयिकों का दल गुरुवार शाम दिल्ली लौट आया। राजनयिकों ने गुरुवार को जाने से पूर्व कहा कि जम्मू-कश्मीर बेहतरी और उन्नति की ओर अग्रसर है और यहां जरूरी परिवर्तन हो रहे हैं। इससे लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आएगा। दो दिवसीय दौरे के दौरान 25 विदेशी राजनयिकों ने बुधवार को कश्मीर घाटी का दौरा किया था, जबकि गुरुवार को उन्होंने जम्मू पहुंचकर विभिन्न प्रशासनिक अधिकारियों के साथ समाज के बुद्धिजीवी लोगों से भी मुलाकात की थी।
जम्मू-कश्मीर की स्थिति को देखकर दल के अधिकतर राजनयिकों ने राज्य में व्यवस्थाओं को सुचारू रूप से चलाने के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना की। राजनयिकों ने यह भी महसूस किया कि राज्य में विकास के लिए आर्टिकल 370 के प्रावधानों को हटाना जरूरी था।
विदेशी राजनयिकों के दल में जर्मनी, कनाडा, फ्रांस, न्यूजीलैंड, मेक्सिको, इटली, अफगानिस्तान, ऑस्टि्रया, उज्बेकिस्तान, पोलैंड, डॉमनिक रिपब्लिक, युगांडा, चेकोस्लोवाकिया, नीदरलैंड, नामीबिया, रवांडा और खाड़ी देशों के प्रतिनिधि शामिल थे। इससे पूर्व गुरुवार सुबह जम्मू पहुंचे यूरोपीय संघ, लैटिन अमेरिका और खाड़ी देशों के राजदूतों, राजनयिकों ने जम्मू में उपराज्यपाल जीसी मुर्मू, उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल व वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठकें की।
‘विकास के लिए 370 के प्रावधानों को हटाना जरूरी था’
दौरे पर आए विदेशी मेहमानों ने स्थानीय लोगों से पाक प्रायोजित आतंक और घाटी से विस्थापित हुए कश्मीरी पंडितों के दर्द को भी समझा। लोगों ने बताया कि सरकार ने अनुच्छेद 370 हटाकर पुरानी गलती सुधारी है। विदेशी राजनयिकों ने कहा कि राज्य में माहौल शांत है और स्थिति भी लगभग सामान्य हो गई है। उन्होंने कहा कि श्रीनगर और जम्मू, दोनों जगहों पर दुकानें खुली थीं, यह एक उत्साहजनक संकेत था। इसके अलावा वहां के लोगों ने राज्य की सरकारों द्वारा जम्मू से किए भेदभाव की भी जानकारी दी। प्रशासनिक अधिकारियों के साथ हुई बैठक में जम्मू-कश्मीर सरकार के मुख्य सचिव बीवीआर सुब्रमण्यम ने राजनयिकों को अनुच्छेद 370 हटने के बाद विकास और पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देकर लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने की मुहिम की भी जानकारी दी।
आतंकवाद के मुद्दे पर जानी लोगों की राय
विदेशी राजनयिकों ने कश्मीरी पंडितों, सभ्य सामाज, शिक्षाविदों, पश्चिम पाकिस्तान के रिफ्यूजियों, गोरखा समाज के प्रतिनिधियों से अलग-अलग बैठकें कर जम्मू-कश्मीर के बदलाव पर उनकी राय भी जानी। इसके अलावा विदेशी राजनयिकों ने एक साथ प्रतिनिधिमंडल में शामिल 37 लोगों से अनुच्छेद 370 हटने, शासन से उम्मीदों व पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद जैसे मुद्दों पर भी राय ली।
जम्मू-कश्मीर में आ रही शांत
भारत में मेक्सिको के राजदूत एफएस लोफे ने कहा है कि जम्मू कश्मीर में शांति आ रही है। इसकी स्थिति कश्मीर और जम्मू में बैठकें करने के बाद स्पष्ट हुई है। कुछ मुश्किलें हैं, लेकिन लोग बेहतर हालात चाहते हैं और अधिकारी उसी कोशिश में जुटे हैं।
नागरिकता संशोधन कानून पर हालात जानें
विदेशी राजनयिकों ने अनुच्छेद-370 हटने से उपजे हालात से अधिक महत्व नागरिकता संशोधन कानून पर जम्मू के लोगों की राय जानने पर दिया। लोगों ने उन्हें बताया कि पड़ोसी देशों में प्रताडि़त अल्पसंख्यकों को देश की नागरिकता देने में कोई बुराई नहीं है।

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