भारतीय वायु सेना (IAF) वैसे तो खासी ताकतवर है मगर वो मोदी राज में और मारक हो रही है। भारत की हवाई गोलाबारी के लिए एक प्रमुख प्रोत्साहन के रूप में, भारतीय वायु सेना ने ग्वालियर एयरबेस पर बालाकोट हवाई हमले में प्रसिद्धि प्राप्त स्पाइस -2000 बम का ‘बिल्डिंग ब्लास्टर’ संस्करण प्राप्त करना शुरू कर दिया है। एक टन वजनी ये स्पाइस बम अपने लक्ष्य पर बेहद सटीक मार करने वाले स्मार्ट बम है जो लक्ष्य से 60 किलोमीटर दूर से भी छोड़ा जा सकता है। एक बार विमान से दागे जाने के बाद स्पाइस बम खुद ग्लाइड करते हुए अपने लक्ष्य तक पहुंचता है और उसे तबाह कर देता है।
ग्वालियर एयरबेस पर स्पाइस -2000 बमों की खेप मिली है, क्योंकि यह भारतीय वायु सेना के मिराज 2000 लड़ाकू विमान बेड़े का बेस है और वे एकमात्र बेड़े हैं जो इजरायल के इन बमों को ले जाने में सक्षम हैं।
आईएएफ के शीर्ष सूत्रों ने एएनआई को बताया की इज़राइल ने भारत को स्पाइस -2000 बमों की डिलीवरी शुरू कर दी है और इन बमों का पहला बैच हाल ही में प्राप्त हुआ है ।
भारतीय वायु सेना ने इजरायल की फर्म के साथ मार्क 84 वारहेड और बमों की खरीद का 250 करोड़ रुपये से अधिक के अनुबंध पर हस्ताक्षर किया था जो बड़ी बड़ी इमारतों को भी पूरी तरह से नष्ट कर सकते हैं। नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा दी गई आपातकालीन खरीद शक्तियों के तहत 100 से अधिक स्पाइस -2000 बम प्राप्त करने के लिए IAF ने इस साल जून में इजरायल के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे। आपात खरीद की यह व्यवस्था मोदी सरकार ने शुरू की है। इसके तहत तीनों सेनाएं अपनी जरूरत के हथियार और गोला-बारूद लंबी प्रक्रिया में जाए बगैर कुछ महीनों में खरीद सकती हैं।
भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तान में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी शिविर के खिलाफ बालाकोट हवाई हमले में अपने सफल उपयोग के बाद और बम हासिल करने के उद्देश से अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए थे। बालाकोट हमलों के दौरान, एयर फोर्स ने मिराज -2000 लड़ाकू विमानों से स्पाइस -2000 बम गिराए थे, भारत के 12 लड़ाकू विमानों ने नियंत्रण रेखा (एलओसी) को पार कर खैबर बख़्तुनख्वा प्रांत में जैश के आतंकी शिविर पर हमला किया था।
बता दे की इजरायल भारतीय वायुसेना के मुख्य हथियारों और गोला-बारूद आपूर्तिकर्ताओ में से एक है।

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