नया भारत जहां इंफ्रास्ट्रक्चर में बड़े बड़े मुकाम छू रहा है तो दूसरी तरफ सैन्य क्षेत्र में भी हर दिन शक्तिशाली होता जा रहा है। इसी क्रम में आज का दिन भारत हमेशा याद रखेगा जब एक तरफ भारत एक नये दौर में शामिल हो गया है क्योंकि भारतीय नौसेना में आईएनएस वेला सबमरीन शामिल हो गई है तो दूसरी तरफ फ्रांस से भारत में 2 मिराज 2000 हजार भी आ चुके है।
समंदर में बढ़ी भारत की ताकत
भारतीय नौसेना की शक्ति में और इजाफा होने वाला है। इसी कड़ी में आईएनएस वेला को इंडियन नेवी के बेड़े में शामिल किया जाएगा। इस सबमरीन का निर्माण मुंबई स्थित मझगांव डॉकयार्ड में नैवल ग्रुप, फ्रांस के साथ मिलकर किया गया है। इस सबमरीन को 9 नवंबर को भारतीय नौसेना को सौंप दिया गया था। इससे पहले आईएनएस कलवरी, खंडेरी, करंज भी इंडियन नेवी में शामिल हो चुकी हैं। ये सभी फ्रांसीसी स्कॉर्पियन क्लास सबमरीन टेक्नोलॉजी के आधार पर विकसित की गई जिन्हें बेहतरीन तकनीक और आधुनिक युद्धकौशल से लैस किया गया है। आईएनएस वेला की लंबाई 75 मीटर है और इसका वजन 1615 टन है। इस सबमरीन पर एक बार में 35 नौसैनिक और 8 ऑफिसर तैनात रह सकते हैं। सबमरीन वेला समुद्र के अंदर 37 किमी की रफ्तार से चल सकती है। बेस से निकलने के बाद आईएनएस वेला 2 माह तक समुद्र में रह सकती है। इस सबमरीन में नौसेना की जरुरतों को देखते हुए वॉरफेयर उपकरण लगाए गए हैं। समुद्र के अंदर यह टॉरपीडो से दुश्मनों की पनडुब्बी और जहाज को तबाह कर सकती है। सबमरीन वेला में आधुनकि तकनीकों से लैस मिसाइल भी लगी हैं, जो कि पानी के अंदर से हवा में उड़ने वाले दुश्मनों के जेट्स को मारकर गिराने की ताकत रखती है।
फ्रांस से आये दो मिराज 2000 लड़ाकू जहाज
भारत और चीन के बीच सीमा पार जारी तनाव को ध्यान में रखते हुए तीनों सेनाएं अपनी रक्षा क्षमता में इजाफा करने में जुटी हुई हैं। इसी कड़ी में भारतीय वायुसेना के लड़ाकू जेट बेड़े को अधिक मजबूत मिली है, क्योंकि दो सेकेंड हैंड मिराज 2000 लड़ाकू विमान फ्रांस से ग्वालियर एयरबेस पर पहुंचे हैं। सर्दियों की शुरुआत हो चुकी है और अब सीमा पर गश्ती बढ़ाने की जरूरत है। ऐसे में इन जहाजों के जरिए वायुसेना को खासा मदद मिलने वाली है। वायुसेना ने विभिन्न बैचों में लगभग 51 मिराज को शामिल किया था और वे तीन स्क्वाड्रन बनाते हैं, जो सभी ग्वालियर वायु सेना स्टेशन में स्थित हैं। जानकारो की माने तो फ्रांस और भारतीय पक्षों के बीच मिराज अपग्रेड डील 51 विमानों की क्षमता बढ़ाने के लिए थी और इनमें से कुछ किट इन विमानों के दुर्घटनाग्रस्त होने के कारण बची हैं। इन दो फ्रांसीसी वायुसेना के विमानों पर एक ही किट लगाई जा सकती है और उन्हें लड़ाकू अभियानों के लिए उपयुक्त बनाया जा सकता है। भारतीय वायुसेना ने पुराने फ्रांसीसी विमानों के रूप में मिराज के लिए पुर्जों को खोजने में बहुत चालाकी से निवेश किया है और इससे वायुसेना को 2035 तक उन्हें बनाए रखने में मदद मिलेगी।
लगातार मोदी सरकार सेना को मजबूत करने के लिए कदम उठा रही है और ये दिखने भी लगी है तभी तो आज देश के दुश्मन के माथे में पसीना आ रहा है।