पद्म पुरस्कारों के नियमों में मोदी सरकार द्वारा किये गए संशोधन का क्रन्तिकारी असर हुआ है| इस साल अब तक पद्म पुरस्कार के लिए करीब 30,000 से ज्यादा नामों के आवेदन आ चुके हैं| जबकि इसके मुकाबले पिछली बार करीब 15,000 आवेदन आये थे|
पुरस्कार के लिए नामांकन प्रक्रिया में मोदी ने किये बदलाव
उल्लेखनीय है की प्रधानमंत्री मोदी ने सत्ता में आने के बाद पद्म पुरस्कारों के लिए नामांकन की प्रक्रिया में सुधार कर के एक नयी परंपरा शुरू की थी| सुधारों के बाद अलग-अलग क्षेत्रों में खास काम करने वाले लोगों को पद्म सम्मान के लिए कोई भी व्यक्ति किसी के भी व्यक्ति के नाम की अनुशंसा कर सकता था| इसके उलट पहले यह सम्मान मंत्रियों और नेताओं की सिफारिश पर दिया जाता था| लेकिन मोदी सरकार अब देश के गुमनाम लोगों (जिन्होंने देश और समाज के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है) को प्रतिष्ठित पद्म पुरस्कारों से अलंकृत कर रही है।
इस प्रक्रिया को सुचारू और पारदर्शी रूप से लागू करने के लिए अलग से वेबसाइट भी बनाई गई थी। इस बदलाव के बाद पद्म सम्मान पाने वालों में आम नागरिकों के बीच से उभरे गुमनाम हीरो को जगह देने के लिए बॉलिवुड स्टार्स को तरजीह देने की परंपरा को कम किया गया है। अब हर साल करीब दो दर्जन गुमनाम नायकों का नाम पद्म पुरस्कारों में होना सरप्राइज फैक्टर बन गया है।
चयन समिति को होने वाली है मुश्किल
लेकिन इस बदलाव के चलते इस बार पद्म पुरकार चयन समिति को इस सम्मान के लिए सभी आवेदनों में से सही लोगों को ढूँढने में बहुत मुश्किल होने वाली है| पद्म सम्मान देने वालों की कमिटी पीएम की अगुवाई में ही नाम का चयन करती है।
सूत्रों के अनुसार पीएमओ ने सभी आवेदनों में से शॉर्टलिस्ट कर चयनित आवेदनों को 15 अक्तूबर तक भेज देने का आदेश दिया है| ताकि समय रहते समाज को उनके योगदान का मूल्यांकन सही रूप से किया जा सके। इसके साथ साथ पद्म पुरस्कारों पाने वाले लोगों के योगदान को पूरे देश में प्रचारित करने की रणनीति भी बनाने की तैयारी है।
क्या है प्रक्रिया
पद्म पुरस्कार के लिए नामांकन हर साल 1 मई से 15 सितंबर के बीच किया जाता है। ये नामांकन राज्य या केंद्र सरकार के माध्यम से आते हैं। राज्य सरकारें जिला प्रशासन से नामांकन मंगवाती हैं। इसके अलावा कोई एनजीओ, सांसद, विधायक के अलावा अब कोई व्यक्ति भी अपने स्तर पर किसी को इस सम्मान के लिए नामांकित कर सकता है।

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