आतंकवाद और आतंकवादियों पर लगाम लगाने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गुरुवार को जम्मू कश्मीर में आतंकियों कमर तोड़ने वाली कार्रवाई की है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने टेरर फंडिंग केस में कार्रवाई करते हुए, कश्मीर में आतंकवादियों से संबंधित 6 संपत्तियां जब्त कर ली हैं। ईडी ने मार्च में भी मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत 13 संपत्तियां जब्त की थीं। जब्त की गई संपत्तियों की कीमत करीब 1.22 करोड़ रुपए है।
ईडी ने कहा कि यह संपत्तियां कश्मीर के अनंतनाग, बांदीपुरा और बारामुला जिलों में स्थित हैं। ये संपत्तियां Hizbul Mujahideen के 7 आतंकियों के नाम पर हैं। इन आतंकियों के नाम मोहम्मद शफी शाह, तालिब लाली, गुलाम नबी खान, जफर हुसैन भट, अब्दुल मजीद सोफी, नजर अहमद डार और मंजूर अहमद डार हैं। इस मामले में गिरफ्तार किए गए लोग Hizbul Mujahideen के लिए ही काम कर रहे थे। NIA ने इन आतंकियों के खिलाफ जाँच शुरू की थी जिसके बाद ED ने मनी लॉड्रिंग के तहत आतंकियों की संपत्ति ज़ब्त की।
जम्मू एवं कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के तीन महीने से अधिक समय बाद ईडी ने Terror funding के संबंध में हिजबुल मुजाहिदीन (एचयूएम) के प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन और अन्य की संलिप्तता मामले में सात संपत्तियों को अपने कब्जे में कर लिया है। ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि उन्होंने कहा, ‘लेकिन ऐसा पहली बार है जब हमने घाटी में इन संपत्तियों को अपने कब्जे में लिया है। पहले हमें संपत्ति को अपने अधीन करने के लिए दूसरी एजेंसियों पर निर्भर रहना पड़ता था। अधिकारी ने कहा कि अनुच्छेद 370 के प्रभावी होने के बाद ही संपत्तियों को कब्जे में लेना संभव हो सका। केंद्र सरकार ने जम्मू एवं कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को 5 अगस्त को हटा दिया था।
कौन है सलाहुद्दीन?
सैयद सलाहुद्दीन पाकिस्तान में यूनाइडेट जिहाद काउंसिल का सरगना है। सलाहुद्दीन भारत में कई आतंकी हमलों में शामिल रहा है। पिछले साल जनवरी में पठानकोट एयरबेस पर हमले के पीछे उसके संगठन यूनाइडेट जिहाद काउंसिल का हाथ था। जैश ए मोहम्मएद भी सलाहुद्दीन के संगठन का ही हिस्साय है। कश्मीलर के ज्यानदातर आतंकी हिजबुल मुजाहिद्दीन से ही जुड़े हुए हैं। कश्मीशर में हिंसा में इस संगठन का सबसे बड़ा हाथ है।
भारत ने मई 2011 में पाकिस्तान को 50 मोस्ट वांटेड लोगों की सूची सौंपी थीं। इस लिस्ट में सलाहुद्दीन का भी नाम है।