एक तरफ कुछ लोग देश को पुराने दौर में ले जाकर बैलेट पेपर के जरिए वोटिंग की बात करते है तो दूसरी तरफ वोटिंग को लेकर भारत में एक जोरदार बदलाव देखने को मिलने वाला है जिसमे नये भारत की झलक दिखती है। चुनाव आयोग की माने तो देश में 2024 में होने वाले आम चुनाव में लोगों को रिमोट वोटिंग का विकल्प मिल सकता है। चुनाव आयोग की माने तो रिमोट वोटिंग से जुड़ा पायलट प्रोजेक्ट अगले दो-तीन महीने में शुरू हो सकता है।
ब्लॉकचेन तकनीक पर हो रहा काम
चुनाव आयोग की माने तो ब्लाकचेन तकनीक के तहत इस परियोजना पर काम कर रहा है इस सुविधा का इस्तेमाल करने के लिए वोटरों को पूर्व निर्धारित समयावधि के दौरान पहले से तय जगह पर पहुंचना होगा। ब्लॉकचेन एक तरह से सूचनाओं को रिकॉर्ड करने की प्रणाली है जो सिस्टम को बदलने, हैक या धोखा देने को मुश्किल या असंभव बना देती है। एक ब्लॉकचेन ट्राजेंक्शन का एक डिजिटल लेज़र है। इस तकनीक में डेटा किसी सेंट्रल सर्वर में स्टोर नहीं होता है बल्कि सैकड़ों, हजारों कम्प्यूटर्स में अलग-अलग होता है। चुनाव आयोग की माने तो मतदान की पारदर्शिता और गोपनीयता हमेशा स्वतंत्र, निष्पक्ष और विश्वसनीय चुनाव सुनिश्चित करने में एक मार्गदर्शक विचार रहा है। आयोग जल्द ही विभिन्न विकल्पों पर विचार-विमर्श के बाद इस तरह के वोटिंग के अंतिम मॉडल को आकार देगा।
मतदान केंद्र जाने की नहीं पड़ेगी जरूरत
चुनाव आयोग आईआईटी मद्रास के साथ मिलकर ऐसी नई तकनीक पर काम कर रहा है जिसके जरिए दूर दराज के क्षेत्रों में रह रहे मतदाताओं को मतदान करने के लिए तय मतदाता केंद्र पर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी और वे दूर रह कर भी मतदान कर सकेंगे।मुख्य चुनाव आयुक्त हालांकि, कई मौके पर यह कर चुके हैं कि फिलहाल इस प्रोजेक्ट का मकसद न तो इंटरनेट आधारित वोटिंग है और न ही इसका मतलब घर बैठे वोटिंग की सुविधा है। आखिर रिमोट वोटिंग का विकल्प लोगों को किस रूप में मिलेगा इसका पूरा पता इसके पायलट प्रोजेक्ट के रिजल्ट और अंतिम रूपरेखा पर निर्भर करेगा। हालांकि, अरोड़ा यह बात भी कह चुके हैं कि यदि प्रोजेक्ट सफल रहता है तो इंटरनेट के जरिये मतदान भी संभव हो सकेगा।
चुनाव आयोग अगर सफल हो जाता है तो भारत ऐसे देश में ये किसी क्रांति से कम नहीं होगा क्योकि इस सुविधा से करोड़ो रूपये की बचत होगी जो एक अच्छा कदम होगा। लेकिन कुछ सियासी पार्टी को ये बात कैसे समझायेगे ये जरूर एक कठिन काम होगा।