आपको पता ही होगा कि वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर को भव्य बनाया जा चुका है। यह भी पता होगा कि वहां के पुजारी हों, सेवादार और सुरक्षाकर्मी के लिये पीएम मोदी ने जूट के बने जूते भेजे है जिसके बाद बाबा विश्वनाथ के दर्शन करने वाल भक्त ही बचे हुए थे जो इस ठंड में भी नंगे पांव घंटो खड़े रहते लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग ने तय किया है कि वहां श्रद्धालुओं को हैंडमेड कागज से बने चप्पल उपलब्ध कराए जाएंगे। इससे जहां श्रद्धालुओं को नंगे पांव जमीन पर नहीं चलना होगा वहीं काशी विश्वनाथ मंदिर की पवित्रता भी बनी रहेगी।
खादी ग्रामोद्योग आयोग की पहल
केंद्र सरकार के MSME मंत्रालय की तरफ से यहां जारी एक बयान के मुताबिक खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग यानी केवीआईसी ने श्रद्धालुओं और कर्मचारियों को हाथ से बनी कागज की चप्पलें की बिक्री शुरू करने का फैसला किया है। ये चप्पलें काशी विश्वनाथ मंदिर के गलियारे में स्थित खादी दुकान पर उपलब्ध होंगे। ये चप्पलें यूज एंड थ्रो होंगी और बायो डिग्रेडेबल भी हैं। ‘काशी विश्वनाथ मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं तथा मंदिर के कर्मचारियों को अब नंगे पांव मंदिर परिसर में प्रवेश करने की जरूरत नहीं होगी। 14 जनवरी से केवीआईसी हस्तनिर्मित कागज की चप्पलों की बिक्री शुरू करेगा।’’ इन चप्पलों को इस्तेमाल के बाद फेंका जा सकता है। यानी ये ‘यूज एंड थ्रो’ स्लिपर होंगे।
पीएम मोदी ने भेजे थे जूट के जूते
ये फैसला ठीक एक दिन बाद आया है जब पीएम मोदी ने मंदिर में काम करने वाले सेवादारों के लिये जूट से बने 100 जोड़ी जूते भेजे थे। वैसे काशी विश्वनाथ मंदिर में ये अफने आप में पहला प्रयोग होगा जिसमें अब इस तरह के चप्पल देखने को मिलेगे लेकिन हां ये जरूर है कि इस तरह के प्रयोग से दो काम होंगे, एक तरफ तो आम लोगों को आराम मिलेगा तो मंदिर परिसद की आय का एक और जरिया बनेगा। वैसे ये चप्पलें पर्यावरणानुकूल हैं और कम कीमत पर उपलब्ध होंगी। लेकिन अभी इनकी कीमतों का खुलासा नहीं किया गया है।
लेकिन इनकी तस्वीर जरूर सामने आ गई है। भव्य काशी विश्वनाथ मंदिर में भव्यता तो अनोखी है ही, साथ में इस तरह के नये प्रयोग भी मंदिर की शोभा और बढ़ायेगे। वैसे भी महादेव के इस मंदिर में जो भी कुछ हो रहा है वो तो महादेव की ही कृपा है जिसे हम सब अब महसूस भी कर रहे है।